सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला अब RTI के दायरे में CJI ऑफिस
सुप्रीम कोर्ट ने कहा चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया एक ऐसा पद है जो पब्लिक अथॉरिटी के अंदर आता है। सुचना और निजता का अधिकार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के अनुसार अब देश के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय भी सूचना के अधिकार के तहत आएगा। यह फैसला आज सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने दिया है।
इस साल 4 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। साल 2010 में याचिका दायर की गई थी। इस मामले को लेकर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया एक ऐसा पद है जो पब्लिक अथॉरिटी के अंदर आता है।
राइट टू इंफॉर्मेशन और राइट टू प्राइवेसी एक सिक्के के दो पहलू हैं। अब सुप्रीम कोर्ट के इस नए आदेश के बाद भारत के प्रधान न्यायाधीश से भी आरटीआई के तहत जानकारी मांगी जा सकेगी।राफेल डील: केंद्र सरकार को कोर्ट का झटका ,विपक्ष ने घेरा
‘Transparency doesn’t undermine judicial independency’, Supreme Court says while upholding the Delhi High Court judgement which ruled that office of Chief Justice comes under the purview of Right to Information Act (RTI). https://t.co/axAjUFzDRr
— ANI (@ANI) November 13, 2019
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने बेंच की तरफ से इस फैसले का अधिकतर हिस्सा लिखा। उन्होंने कहा,” पारदर्शिता न्यायिक आजादी को कम नहीं करती है। न्यायिक स्वतंत्रता और जवाबदेही एक हाथ से दूसरे हाथ जाती हैं। प्रकटीकरण सार्वजनिक हित का एक पहलू है। ”
न्यायमूर्ति रमन्ना ने जस्टिस खन्ना की राय को सहमति देते हुए कहा,” निजता का अधिकार और सुचना का अधिकार एक हाथ से दूसरे हाथ जाना है। कोई भी एक दूसरे पर वरीयता नहीं ले सकता। “