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हवा में नहीं किए जा सकते राष्ट्रीय सुरक्षा के दावे, देना होगा ठोस प्रमाण, सीलबंद रिपोर्ट पर SC

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मीडिया के आलोचनात्मक विचारों को प्रतिस्थान विरोधी नहीं कहा जा सकता। इस शब्द के प्रयोग का अर्थ है कि प्रेस को सत्ता प्रतिस्थान का समर्थन करना चाहिए। मीडिया वन टीवी चैनल के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के दावे हवा में नहीं किए जा सकते।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मीडिया के आलोचनात्मक विचारों को प्रतिष्ठान विरोधी नहीं कहा जा सकता। इस शब्द के प्रयोग का अर्थ है कि प्रेस को सत्ता प्रतिष्ठान का समर्थन करना चाहिए। मीडिया वन टीवी चैनल के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के दावे हवा में नहीं किए जा सकते।

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलो की सुनवाई करते हुए कहा कि ऐसे दावे हवा में नही किए जा सकते। कोर्ट ने सीलबंद कवर प्रक्रिया पर दिशा निर्देश जारी किए हैं। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का दावा हवा में नहीं किया जा सकता। इसके लिए ठोस प्रमाण देने होंगे। केंद्र सरकार को पहले कोर्ट को राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में समझना होगा। इसके बाद यह बताना होगा कि राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता कैसे न्याय के सिद्धांत पर हावी हो जाती है।

भारत के प्रधान न्यायाधीश चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा ,”सुरक्षा के कारणों से इंकार के कारण का खुलासा नहीं करना और सीलबंद कवर में अदालत को बताना निष्पक्ष कार्यवाही के अधिकार का उल्लंघन है। केवल राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में शामिल होने से देश निष्पक्षता से काम नहीं कर पाएगा। अपनाई गई सीलबंद कवर प्रक्रिया ने याचिकाकर्ताओं को भूल भुलैया में डाल दिया है। ये तरीका संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। ”

सुप्रीम कोर्ट ने कहा ,” यह कहना कि जांच एजेंसियों की सभी रिपोर्ट गुप्त हैं, स्वीकार नहीं की जा सकती। यह पारदर्शी और जवाबदेह प्रणाली के खिलाफ है। सीलबंद कवर की तुलना में सार्वजनिक प्रतिरक्षा कार्यवाही सबके हित की रक्षा के लिए कम प्रतिबंधनात्मक साधन है। प्रक्रियात्मक गारंटी का उल्लंघन करने वाले कार्यों को रद्द किया जा सकता है “

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