सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के जस्टिस किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस जेके महेश्वरी, जस्टिस एएस ओका और जस्टिस विक्रमनाथ ने यह फैसला सुनाया है। फैसले के अनुसार हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 बी के तहत अब तलाक लेने वाले दंपति 6 महीने का इंतजार नहीं करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने तलाक को लेकर अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अगर पति पत्नी के रिश्तों में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं बचती है तो 6 महीने तक इंतजार करना जरूरी नहीं है। पांच जजों की पीठ ने कहा कि शादी में कभी न सुधार होने वाले रिश्तों के आधार पर तलाक देने के लिए सर्वोच्च अदालत के अनुछेद 142 के तहत प्राप्त अपरिहार्य शक्तियों का प्रयोग किया जा सकता है।
अभी तक शादी के कानून के अनुसार, दंपति की तलाक के लिए सहमति के बावजूद दोनों पहले फैमिली कोर्ट की तरफ से 6 महीने का समय दिया जाता था। यह समय दोनों को रिश्तों में सुधार करने के लिए दिया जाता था। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आपसी सहमति से तलाक के लिए 6 महीने तक इंतजार करना जरूरी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने पिछले 29 सितंबर को इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।