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किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाई फटकार, कहा-आप बहाने मत बनाओ

सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि हमने 3 सदस्यों की समिति बनाकर किसान नेताओं बुलाया था और अन्य स्थानों पर धरने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन उन्होंने अस्वीकार कर दिया है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई।

सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि हमने 3 सदस्यों की समिति बनाकर किसान नेताओं बुलाया था और अन्य स्थानों पर धरने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन उन्होंने अस्वीकार कर दिया है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई।

सर्वोच्च अदालत ने दिल्ली बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन के संबंध में दाखिल की गई याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कानून का पालन करवाना आपका काम है। किसानों को बॉर्डर से हटाने के मुद्दे पर केंद्र सरकार को कदम उठाने चाहिए। कोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर धरना देने के मामले में स्पष्ट दिशा निर्देश दिए हैं। ऐसे में केंद्र सरकार हमसे यह ना कहे कि हम नहीं कर पा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपसे हमने हल पूछा है हाल।

अदालत ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि हाईवे और सड़कों को जाम नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने केंद्र सरकार की से नाराजगी जाहिर की। नोएडा के एक याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई के दौरान कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनकारी किसानों के सड़कों को जाम करने के कारण नोएडा और दिल्ली के बीच यात्रियों को असुविधा का जिक्र किया गया।

केंद्र का कोर्ट में जवाब

केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमने 3 सदस्यीय समिति बनाकर किसान नेताओं को बुलाया था और अन्य स्थान पर धरने का प्रस्ताव भी दिया था। लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप इस मामले में अदालत में आवेदन क्यों नहीं करते। जिस पर केंद्र सरकार की तरफ से हां भरते हुए सॉलीसीटर जनरल ने कहा कि हम आवेदन दाखिल कर देंगे। इस केस की अगली सुनवाई सोमवार के दिन होगी ‌ ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार किसान संगठनों को पक्षकार के तौर पर शामिल करेगी। सर्वोच्च अदालत ने इस संबंध में आवेदन दाखिल करने का निर्देश केंद्र को दिया है। जिससे कि किसान संगठन अपना पक्ष अदालत में रख सके। साथ ही अदालत ने किसान नेताओं से यह भी जानने की कोशिश की कि आखिरकार क्यों किसान नेता दिल्ली एनसीआर की मुख्य सड़कों पर धरना दे रहे हैं ,दूसरी पर जगह पर क्यों नहीं कर सकते।

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