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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा- किसान आंदोलन के चलते अब तक सड़के बंद क्यों हैं, इसका कोई हल निकालें

सुप्रीम कोर्ट ने आज एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि किसानों को प्रदर्शन करने का पूरा अधिकार है।  लेकिन सड़कों पर आवाजाही को नहीं रोका जा सकता । सर्वोच्च अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों से इस मामले में 2 हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है।

सुप्रीम कोर्ट ने आज एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि किसानों को प्रदर्शन करने का पूरा अधिकार है।  लेकिन सड़कों पर आवाजाही को नहीं रोका जा सकता । सर्वोच्च अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों से gइस मामले में 2 हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है।

केंद्र सरकार से मांगा जवाब 

नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्य को नोटिस जारी किया था। मोनिका ने आरोप लगाया था कि नोएडा से दिल्ली तक उस का सफर सड़क जाम के कारण आमतौर पर 20 मिनट की जगह 2 घंटे का समय ले रहा है। न्यायाधीश एसके कॉल और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि सार्वजनिक सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए। यह एक ऐसा पहलू है जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले कई आदेशों में बार-बार जोर दिया है।

जानिए सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने क्या कहा 

अदालत में सुनवाई के दौरान सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह दिल्ली सरकार की ओर से पेश हो रहे हैं। जिस पर जस्टिस कौल ने जवाब दिया कि दिल्ली सरकार ने कहा था कि एसजी हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकारों की ओर के लिए पेश हो रहे हैं। जस्टिस कौल ने आगे कहा कि हम इस बात से चिंतित नहीं है कि आप इस मुद्दे को कैसे निपटाते हैं। चाहे राजनीतिक रूप से, प्रशासनिक रूप से या न्यायिक रूप से। लेकिन हमने पहले भी कहा है कि सड़कों को बंद नहीं किया जाना चाहिए। यह जनता है, जिसे सड़क जाम के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

सॉलिसिटर जनरल ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों के निहितार्थ के लिए अनुरोध किया। जिसे अदालत ने दोनों राज्यों को नोटिस के साथ अनुमति दी है।

आपको बता दें कि 29 मार्च 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस कमिश्नर को यह सुनिश्चित करने के लिए नोटिस जारी किया था कि सड़क क्षेत्र को साफ़ रखा जाए ताकि एक जगह से दूसरी जगह जाने का रास्ता प्रभावित ना हो।

बहुत समय मिल चूका अब हल निकालें 

कोर्ट ने कहा कि आपको बहुत समय मिल चुका है। अब तो कुछ कीजिए। इस मामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी। इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों के विरोध के कारण सड़कों को अवरुद्ध होने पर सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल किया और कहा कि सरकार अदालत के आदेशों के तहत सड़कों को जाम करने के घोर अवैध काम पर किसानों को समझाने का प्रयास कर रही है। प्रदर्शनकारी किसानों में अधिकतर बड़ी उम्र के बूढ़े लोग हैं।

यूपी सरकार ने कहा है कि गाजियाबाद यूपी और दिल्ली के बीच महाराजपुर हिंडन सड़कों के माध्यम से यातायात सुचारू आवाजाही की अनुमति देने के लिए डायवर्सन बनाया गया है। क्योंकि नेशनल हाईवे 24 अभी भी बंद है। जनवरी-मार्च और फिर अप्रैल में किसान प्रदर्शनकारियों द्वारा NH24 को बार-बार अवरुद्ध किया गया।

कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दूसरों के जीवन में बाधा ना डालें। एससी ने स्पष्ट कहा कि यदि प्रदर्शनकारी नीति को स्वीकार नहीं करते हैं तो दूसरों को नुकसान नहीं होना चाहिए भले ही वह एक गांव बना ले। लेकिन दूसरे लोगों के लिए बाधा ना बने। साथ में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि लोगों को विरोध करने का अधिकार है लेकिन दूसरों को बाधित नहीं कर सकते।

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