130th Constitutional Amendment Bill: केंद्र सरकार ने लोकसभा में तीन महत्वपूर्ण बिल पेश किए हैं। जिनका उद्देश्य गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार या 30 दिनों तक हिरासत में रहने वाले प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों को पद से हटाने के लिए क़ानूनी ढांचा तैयार करना है।
ये हैं विधेयक
केंद्र शासित प्रदेश सरकार ( संशोधन) विधेयक 2025
यह बिल केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम, 1963 की धारा 63 में संशोधन करता है। ताकि गंभीर आपराधिक आरोपों में हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्रियों को हटाने का प्रावधान हो।
130th Constitutional Amendment Bill: संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025
यह संविधान के अनुच्छेद 75 ( प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों से संबंधित) 164 ( राज्यों के मुख्यमंत्री और मंत्रियों से संबंधित ) और 239AA (दिल्ली और केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित) में संशोधन का प्रस्ताव करता है। इसका लक्ष्य गंभीर आपराधिकआरोपों में हिरासत में लिए गए नेताओं को हटाने का क़ानूनी आधार प्रदान करना है।
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025
यह जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की धारा 54 में संशोधन करता है। ताकि गंभीर आपराधिक आरोपों में हिरासत में लिए गए मुख़्यमंत्री या मंत्रियों को हटाने का प्रावधान हो।
इन तीनों विधेयकों को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश किया। इन्हे संयुक्त संसदीय समिति (JPC ) को भेजने का प्रस्ताव भी रखा गया। ताकि विस्तृत चर्चा हो और सभी पक्षों की राय ली जा सके।
विधेयकों का प्रमुख प्रावधान
यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री किसी गंभीर आपराधिक मामले में ( जिसमें न्यूनतम सजा 5 से 7 साल हो ) में गिरफ्तार होकर लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहता है तो 31वे दिन उसे स्वतः पद से हटा दिया जाएगा।
पुनर्नियुक्ति की संभावना
हिरासत से रिहा होने के बाद संबंधित व्यक्ति को दोबारा उसी पद पर नियुक्त किया जा सकता है। बशर्ते कोई कानूनी बाधा न हो।
इन विधेयकों में गंभीर अपराध की परिभाषा स्पष्ट नहीं की गई है। सिवाय इसके कि सजा 5 से 7 साल से अधिक होनी चाहिए। इसमें भ्रष्टाचार,जघन्य अपराध या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामले हो सकते हैं।
संविधान में अभी तक कोई ऐसा प्रधान नहीं है जो गंभीर आरोपों के आधार पर हिरासत में लिए गए नेताओं को हटाने की अनुमति देता हो। ये विधेयक इस कमी को पूरा करने के लिए लाए गए हैं।
सरकार का तर्क
सरकार का कहना है कि ये विधेयक राजनीति में पारदर्शिता, जवाबदेही और नैतिकता को बढ़ावा देंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि गंभीर आपराधिक आरोपों में फंसे नेताओं का पद पर बने रहा जनता के विश्वास को कमजोर करता है। नेताओं का चरित्र और आचरण संदेह से परे होना चाहिए। ताकि संवैधानिक नैतिकता और सुशासन के सिद्धांत मजबूत हों।
विपक्ष का विरोध और विवाद
इन विधेयकों को लेकर विपक्ष ने तीखा विरोध जताया है। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा करार दिया है।
130th Constitutional Amendment Bill : राजनीतिक दुरूपयोग की आशंका
कांग्रेस, टीएमसी, सपा, आप आदि विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार इन विधेयकों का उपयोग विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए कर सकती है। केंद्रीय एजेंसियों ( सीबीआई, ED) के कथित पक्षपातपूर्ण उपयोग का हवाला देते हुए, विपक्ष का कहना है कि झूठे आरोपों के आधार पर विपक्ष को निशाना बनाया जा सकता है। महुआ मोइत्रा ने इसे संघीय ढाने के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि बिना दोषसिद्धि के गिरफ्तारी के आधार पर हटाना लोकतान्त्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन है।
विपक्ष ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के मामलों का उल्लेख किया। जिन्हे कथिततौर पर राजनैतिक बदले की भावना से गिरफ्तार किया गया था।
इन विधेयकों (130th Constitutional Amendment Bill) को संसदीय समिति को भेजा गया है। जिसमें लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल हैं। जेपीसी इन विधेयकों पर विस्तृत चर्चा करेगी और सुझाव देगी।
संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 पास करने के लिए संसद में विशेष बहुमत ( दो तिहाई) की आवश्यकता है। बाकि दो बिल साधारण बहुमत से भी पास हो सकते हैं।