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7 wonders of the world: क्यों झुकी हुई है पीसा की मीनार

दिसम्बर 9, 2024 | by pillar

7 wonders of the world: क्यों झुकी हुई है पीसा की मीनार

7 wonders of the world: दुनिया के प्राचीन सात अजूबे मिस्र के पिरामिड, बेबीलोन झूले, आर्टेमिस का मंदिर,जेउस की मूर्ति, मौसोलम का मकबरा, रोडस कोलोसस की मूर्ति और अलेक्जेंड्रिया का हैं। जबकि नए अजूबों के नाम अलग हैं।

7 wonders of the world

प्राचीन काल के सात अजूबों की सूची दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनाई गई थी। इनमें से अधिकांश अजूबे अब नष्ट हो चुके हैं।

  1. गिजा के पिरामिड (मिस्र): यह दुनिया के सात प्राचीन अजूबों में से एकमात्र संरचना है जो आज भी अस्तित्व में है। यह फिरौन खुफु (Cheops) का मकबरा है । इसका आकार और निर्माण तकनीक आज भी आश्चर्यजनक है। मिस्र के पिरामिड का निर्माण 2580  ईसा पूर्व, मिस्र के गिजा में हुआ था।
  2. बेबीलोन के झूलते बाग़ (इराक) : कहा जाता है कि बेबीलोन के राजा नबूकदनेस्सर द्वितीय ने इसे अपनी पत्नी के लिए बनवाया था। यह बाग़ टेरेसों पर बने थे, जिनमें विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे और जल व्यवस्थाएँ थीं। लेकिन इस संरचना का कोई प्रमाणिक अवशेष नहीं मिला है। बेबीलोन के झूलों का निर्माण, 600 ईसा पूर्व, बेबीलोन ( ईराक ) में हुआ था।
  3. आर्टेमिस का मंदिर (तुर्की) : यह मंदिर देवी आर्टेमिस को समर्पित था और इसे खूबसूरती तथा विशालता के लिए जाना जाता था। इसे कई बार नष्ट किया गया और फिर से बनाया गया, लेकिन अंततः इसे पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया। निर्माण: 550 ईसा पूर्व, वर्तमान के इफिसुस में हुआ था।
  4. जेउस की मूर्ति (ग्रीस) : यह विशाल मूर्ति यूनानी देवता जेउस की थी, जो सोने और हाथी दांत से बनी थी। इसे ओलंपिक खेलों के स्थान पर स्थापित किया गया था। निर्माण: 435 ईसा पूर्व, ग्रीस के ओलंपिया में हुआ था।
  5. मौसोलस का मकबरा (तुर्की ) : यह मकबरा कारिया के राजा मौसोलस और उनकी पत्नी आर्टेमिसिया के लिए बनाया गया था। यह एक भव्य और ऊंची संरचना थी, जिसके कारण “मकबरे” शब्द की उत्पत्ति हुई। निर्माण: 350 ईसा पूर्व, हालिकार्नासस (वर्तमान बोडरम, तुर्की)
  6. रोड्स की कोलोसस मूर्ति (ग्रीस ) : यह मूर्ति सूर्य देवता हेलिओस को समर्पित थी और यह तांबे से बनी थी। इसे एक विशाल आकृति माना जाता था, लेकिन एक भूकंप में यह नष्ट हो गई। निर्माण : 292-280 ईसा पूर्व, रोड्स द्वीप, ग्रीस।
  7. अलेक्जेंड्रिया का लाइटहाउस (मिस्र ) : यह दुनिया का पहला लाइटहाउस था और इसका उद्देश्य समुद्र यात्रियों को मार्ग दिखाना था। यह एक भूकंप में नष्ट हो गया था। निर्माण : 280 ईसा पूर्व, मिस्र, अलेक्जेंड्रिया।

New 7 Wonders Foundation

7 wonders of the worldआधुनिक युग में, New 7 Wonders Foundation द्वारा एक वैश्विक सर्वेक्षण कराया गया और 2007 में आधुनिक दुनिया के सात अजूबों की सूची घोषित की गई। ये सभी संरचनाएँ आज भी देखी जा सकती हैं।

  1. चिचेन इत्ज़ा (मेक्सिको) : यह माया सभ्यता की अद्भुत संरचना है। इसमें “एल कैस्टिलो” नामक पिरामिड प्रसिद्ध है, जो खगोलीय और धार्मिक महत्व रखता है। निर्माण : 600–900 ईस्वी।
  2. क्राइस्ट द रिडीमर (ब्राज़ील) : यह 30 मीटर ऊंची ईसा मसीह की प्रतिमा है, जो रियो डी जनेरियो में स्थित है। यह ब्राज़ील और ईसाई धर्म का प्रतीक मानी जाती है। निर्माण : 1931
  3. पेट्रा (जॉर्डन) : यह जॉर्डन के रेगिस्तान में स्थित एक प्राचीन शहर है, जिसे चट्टानों को काटकर बनाया गया है। पेट्रा अपनी वास्तुकला और जल प्रबंधन प्रणाली के लिए जाना जाता है। निर्माण, पांचवीं सदी ईसा पूर्व।
  4. आगरा का ताज महल (भारत) : शाहजहां द्वारा अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया गया यह मकबरा सफेद संगमरमर से बना है और इसे प्रेम का प्रतीक माना जाता है। यह मुग़ल स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है। निर्माण: 1632-1653
  5. कोलोसियम (इटली) : रोम में स्थित यह विशाल एम्फीथिएटर रोमन साम्राज्य की शक्ति और वैभव को दर्शाता है। यहाँ पर ग्लैडिएटर की लड़ाई और सार्वजनिक आयोजन होते थे। निर्माण: 70-80 ईस्वी
  6. माचू पिच्चू (पेरू) : यह इंकान सभ्यता का शहर पेरू के ऊंचे पर्वतों पर स्थित है। इसकी अद्भुत संरचना और स्थान इसे विश्व धरोहर बनाते हैं। निर्माण: 15 वीं सदी।
  7. दी ग्रेट वॉल ऑफ चाइना (चीन) : यह विशाल दीवार चीन को आक्रमणकारियों से बचाने के लिए बनाई गई थी। यह दुनिया की सबसे लंबी मानव निर्मित संरचना है, जो लगभग 13,000 मील लंबी है। निर्माण: 7वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 16वीं शताब्दी तक।
पीसा की मीनार (Leaning Tower of Pisa) का इतिहास और अन्य जानकारी

(Leaning Tower of Pisa) एक विश्व प्रसिद्ध इमारत है, जो इटली के पीसा शहर में स्थित है। यह इमारत अपनी झुकाव के कारण विश्व भर में जानी जाती है। आइए इसके इतिहास, झुकाव के कारण, और अन्य विवरणों पर विस्तार से चर्चा करें।

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इतिहास : पीसा की मीनार का निर्माण 1173 ईस्वी में शुरू हुआ था। यह इमारत असल में पीसा के कैथेड्रल के बगल में बनाई गई थी, जो कि एक घंटाघर (बेल टॉवर) है। मीनार की ऊंचाई करीब 56 मीटर (183.27 फीट) है। इसका निर्माण तीन चरणों में पूरा हुआ था और इसमें लगभग 199 साल का समय लगा।

मीनार का निर्माण आर्किटेक्ट “बोनानो पिसानो” के नेतृत्व में शुरू हुआ, लेकिन निर्माण की शुरूआती तीन मंजिलें बनते ही मीनार का झुकाव प्रारंभ हो गया था। इसे रोकने और सुधारने के प्रयासों के कारण निर्माण बीच में कई बार रुका और बाद में 1372 में इसे पूर्ण रूप से बनाया गया।

7 अजूबों में से एक, क्यों झुकी हुई है पीसा की मीनार

पीसा की मीनार का झुकाव इसकी नींव के कमजोर होने और भूमि के असमतल होने के कारण हुआ। पीसा का क्षेत्र अपेक्षाकृत नर्म मिट्टी (चमकीली मिट्टी और रेत) से बना हुआ है, जो भारी संरचनाओं के लिए उपयुक्त नहीं है। इस कारण, जैसे-जैसे मीनार की ऊंचाई बढ़ती गई, इसकी नींव कमजोर होती गई और मीनार एक दिशा में झुकने लगी।

कारण : पीसा की जमीन में पानी की बहुतायत और मिट्टी की ढीली परतों के कारण नींव धंसती गई। विशेष रूप से एक तरफ की मिट्टी ज्यादा नरम थी, जिससे मीनार उस दिशा में झुकने लगी।

मीनार की नींव मात्र 3 मीटर गहरी थी, जो कि इतनी ऊंची संरचना के लिए पर्याप्त नहीं थी। कमजोर नींव ने इसे स्थिर रखने में असमर्थता दिखाई।

मीनार का झुकाव प्रारंभिक निर्माण के दौरान ही दिखाई देने लगा था, लेकिन इसे सुधारने के प्रयास असफल रहे। मीनार के झुकाव को रोकने के लिए कई प्रयास किए गए, जैसे कि इमारत के झुकी हुई दिशा में भारी सामग्री लगाना या अतिरिक्त नींव डालना, लेकिन यह पूरी तरह सफल नहीं हो पाए।

1980 के दशक में मीनार के झुकाव को इतना खतरनाक माना गया कि इसे पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया और झुकाव को स्थिर करने के लिए व्यापक वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग प्रयास किए गए। बाद में, मीनार को स्थिर किया गया और 2001 में इसे फिर से खोल दिया गया।

मीनार सफेद संगेमरमर से बनी हुई है। इसकी आठ मंजिलें हैं और 294 सीढ़ियां हैं। मीनार का आर्किटेक्चर रोमनस्क शैली का है, जो 12वीं शताब्दी में इटली में प्रचलित थी। मीनार के डिजाइन में गोलाकार कॉलम, अलंकृत बालकनी, और सुंदर डिजाइन शामिल हैं, जो इसे आकर्षक बनाते हैं।

पीसा की मीनार का झुकाव अब स्थिर है और वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले लगभग 200 वर्षों तक इसका झुकाव सुरक्षित रहेगा। हालाँकि, यह अभी भी एक दिशा में झुकी हुई है और यह स्थिति इसके ऐतिहासिक और स्थापत्य महत्व को और बढ़ाती है।

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