कांवड़ यात्रा में नेम प्लेट विवाद पर बाबा रामदेव ने दी प्रतिक्रिया, बोले-नाम बताने में गर्व महसूस होना चाहिए

योग गुरु बाबा रामदेव ने कांवड़ यात्रा में नेम प्लेट विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि विरोध और समर्थन के पीछे लोगों के राजनैतिक मंसूबे हैं। बोले- जब रामदेव को अपनी पहचान बताने में कोई दिक्क्त नहीं है तो रहमान को क्यों होनी चाहिए।

कांवड़ रूट पर नेम प्लेट विवाद

कांवड़ रूट पर लगी दुकानों पर मालिकों को अपने नाम बताने के आदेश के बाद विपक्ष योगी आदित्यनाथ सरकार की कड़ी आलोचना कर है। कांग्रेस पार्टी से लेकर आम आदमी पार्टी तक के नेता सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी सरकार पर सवाल उठा रहे है। इतना ही नहीं हाल ही में बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने भी इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। सोनू सूद ने कहा था कि सभी दुकानों पर “मानवता” नाम की नेम प्लेट होनी चाहिए। अब योग गुरु रामदेवन ने इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

क्या बोली बाबा रामदेव ?

बाबा रामदेव ने फैसले का स्वागत करते हुए समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए कहा ,” जब रामदेव को अपनी पहचान बताने में कोई दिक्क्त नहीं है तो रहमान को क्यों दिक्क्त होनी चाहिए। हिन्दू मुसलमान सबको अपनी पहचान बताने में गर्व महसूस होना चाहिए। नाम छिपाने की कोई जरूरत नहीं है। कार्यों को शुद्धता से करने की जरूरत है। अगर हमारे कार्यों में शुद्धतता और पवित्रता है तो हमारा नाम हिंदू है या मुसलमान है, सबको अपने भातीय होने पर गर्व होना चाहिए। ”

कांवड़ियों को दी नसीहत

इसके अलावा बाबा रामदेव ने कांवड़ियों को भी अनुशासन और समझदारी दिखाने की नसीहत दी है। कहा कि धर्म को अपने आचरण में धारण करें और आचरण का परिचय दें।

नेम प्लेट विवाद पर हो रही है राजनीती

उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ के फैसले को लेकर हो रहे विरोध पर भी अपनी प्रतिक्रया दी है। उन्होंने कहा कि इस फैसले के समर्थन और विरोध में राजनीती हो रही है। योगगुरु ने कहा कि विरोध तो पीएम मोदी जी का भी हो रहा है। विपक्षी दल कहते हैं कि उनसे संविधान को खतरा है।

क्या है मामला ?

हरिद्वार में कांवड़ यात्रा से पहले यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा के रूट पर पड़ने वाली सभी दुकानों, होटलों, रेहड़ी पटरी वालों को अपना नाम दूकान के आगे लिखने के लिए कहा था। इसके पीछे यूपी सरकार का तर्क ये था कि कांवड़ियों को सामान खरीदने से पहले इस बात का पता होना चाहिए कि वे सामान किससे खरीद रहे हैं।

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