HMPV virus in India: चीन के बाद अब भारत में भी एचएमपीवी वायरस का खतरा बढ़ने लगा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार,देश में अब तक एचएमपीवी के 7 मामले दर्ज किए गए हैं।संक्रमण के मामले ज्यादातर बच्चों में पाए जा रहे हैं।
चीन के बाद अब HMPV virus की भारत में भी एंट्री हो गई है। जिससे देश के लोगों में डर का माहौल बनता जा रहा है। यह नया वायरस एक बार फिर कोरोना महामारी की यादें ताजा कर रहा है। भारत में अब तक HMPV वायरस के 7 मामले सामने आ चुके हैं। जिन राज्यों में HMPV संक्रमण के मामले पाए गए हैं, उनका विवरण निम्न प्रकार है।
- कर्नाटक में एचएमपीवी के 2 मामले पाए गए।
- महाराष्ट्र में 2 मामले
- गुजरात में 3 मामले
एचएमपीवी वायरस पर जेपी नड्डा का ब्यान
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा , ” घबराने की जरूरत नहीं है। यह भारत में 2001 से है। एचएमपीवी इतना खतरनाक नहीं है, जितना सोशल मीडिया पर दिखाया जा रहा है। वायरस कई सालों से दुनिया भर में फैला हुआ है। हम स्थिति पर जनर बनाए हुए हैं।”
ICMR ने भी अपने ब्यान में वायरस को लेकर लोगों को न घबराने की अपील की है। =आईसीएमआर का कहना है कि यह दुनिया भर में पहले से फैला हुआ है। इससे घबराने की जरूरत नहीं है। लोगों को एतिहात बरतने की जरूरत है।
राज्य सरकारों ने जारी किए दिशानिर्देश
एचएमपीवी वायरस को लेकर दिल्ली और उत्तर प्रदेश सरकार सहित अन्य राज्य सरकारों ने दिशा निर्देश जारी किए हैं। दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य अधिकारीयों को वायरस पर नजर बनाये रखने के दिशा निर्देश दिए हैं। दिल्ली सरकार ने सांस के मरीजों और खांसी जुकाम से जुड़े मामलों को गंभीरता से लेने के निर्देश दिए हैं।
वहीं प्रयागराज में महाकुंभ मेले की तैयारियों के मद्देनजर यूपी सरकार ने भी एचएमपीवी वायरस को लेकर स्वास्थ्य अधिकारीयों और अस्प्तालों को जरूरी दिशा निर्देश दिए हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्वास्थ्य एवं गृह विभाग के अधिकारीयों की बैठक बुलाई है। बैठक आज लखनऊ में होने वाली है।
एचएमपीवी वायरस फैलने के कारण और लक्षण
लक्षण: खांसी जुकाम , गले में खराश होना, सांस लेने में दिक्क्त होना और बुखार आना मुख्य लक्ष्ण हैं।
कारण: HMPV virus खांसने छींकने, संक्रमित मरीज के संपर्क में आने और हाथ मिलाने से फैलता है।
एचएमपीवी वायरस का खतरा
वैसे तो एचएमपीवी वायरस सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। इसका खतरा पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों और 60 वर्ष से अधिक उम्र वालों में ज्यादा है। इसके प्रसार को रोकने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं। जैसे बाहर निकलते समय मास्क पहना, हाथ धोना और साफ सफाई रखना आदि शामिल हैं। लोगों नियमित जांच कराने की भी सलाह दी गई है।
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