अनिल अंबानी और विजय माल्या इस वजह से हो रहे हैं ट्रेंड

अनिल अंबानी और विजय माल्या इस वजह से हो रहे हैं ट्रेंड

Trending News: अनिल अंबानी और विजय माल्या का नाम सोशल मीडिया पर ट्रेंड हो रहा है।  यूजर्स दावा कर रहे हैं कि अंबानी ने माल्या से ज्यादा कर्ज लिया है। आइये विस्तार से जानते हैं।

अनिल अंबानी और विजय माल्या का नाम हाल ही में सोशल मीडिया, खासकर ट्विटर पर एक साथ ट्रेंड कर रहा है, क्योंकि उनके वित्तीय मामलों और कर्ज संबंधी मुद्दों पर अजीबोगरीब चर्चाएं चल रही हैं।

चर्चा मुख्य रूप से उनके ऊपर कर्ज की राशि, कर्ज चुकाने की प्रक्रिया और सरकार के साथ उनके कथित संबंधों के बारे में है। इस विषय को नीचे विस्तार से समझाया गया है।

Trending News: अनिल अंबानी की पृष्ठभूमि

रिलायंस समूह के मुखिया अनिल अंबानी कभी भारत के सबसे अमीर लोगों में से एक थे। उनकी कंपनियों, खासकर रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) और रिलायंस कैपिटल ने भारी कर्ज ले लिया। इसके कारण उनकी कंपनियों को दिवालिया घोषित कर दिया गया।

अनिल अंबानी के कर्ज के बारे में दावा किया जाता है कि उनकी कंपनियों का कुल कर्ज 40,000-49,000 करोड़ रुपये के बीच था। जिसका कुछ हिस्सा चुका दिया गया। लेकिन पूरी रकम वसूल नहीं हो सकी।

विजय माल्या का परिचय

किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक और शराब कारोबारी विजय माल्या 2016 में 6,203-9,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर भारत से लंदन भाग गए।

भारत में उन्हें “भगोड़ा आर्थिक अपराधी” घोषित किया गया है। बैंकों और सरकार ने उनकी संपत्तियां वापस पाने के लिए कई कदम उठाए हैं। माल्या के कर्ज और उनकी फरारी उन्हें खबरों में बनाए रखती है।

दोनों सुर्ख़ियों में क्यों हैं ?

एक्स पर हाल ही में की गई पोस्ट से पता चलता है कि अनिल अंबानी और विजय माल्या की तुलना उनके कर्ज और वसूली प्रक्रिया को लेकर की जा रही है।  कुछ लोग सरकार के रवैये पर भी सवाल उठा रहे हैं। इसके मुख्य कारण इस प्रकार हैं:

दोनों के ऋणों की तुलना और वसूली में अंतर

Trending News: कुछ एक्स पोस्ट में दावा किया गया है कि अनिल अंबानी का ₹49,000 करोड़ का कर्ज ₹455 करोड़ में निपटाया गया और उन्हें सरकार से राहत मिली। हालांकि, यह दावा अतिरंजित और गलत पाया गया है। रिलायंस कम्युनिकेशंस का कर्ज असल में 40,413-49,193 करोड़ रुपये के बीच था।

यह कंपनी दिवालियापन प्रक्रिया (एनसीएलटी) में है। जिसमें ऋण निपटान प्रक्रिया शामिल नहीं है। ऋण पूरी तरह से माफ होने का कोई ठोस सबूत भी नहीं है।

विजय माल्या का कुल कर्ज

माल्या के मामले में बैंकों ने उनके ₹6,203 करोड़ के ऋण के विरुद्ध ₹14,000 करोड़ (ब्याज सहित) वसूल किए हैं। जिसमें उनकी संपत्तियों की नीलामी भी शामिल है। फिर भी माल्या को “भगोड़ा” और “देशद्रोही” कहा जा रहा है, जबकि कुछ लोग अनिल अंबानी को सरकारी ठेके मिलने का मुद्दा उठा रहे हैं।

एक्स पर कई उपयोगकर्ताओं ने अनिल अंबानी को “मोदी सरकार” का करीबी सहयोगी कहा और सवाल किया कि उनके ऋणों पर भारी छूट क्यों दी गई, जबकि माल्या को देशद्रोही करार दिया गया।

उदाहरण के लिए, एक पोस्ट में कहा गया कि अनिल अंबानी को सरकारी ठेकेदार के तौर पर काम मिल रहा है, जबकि माल्या को भगोड़ा घोषित कर दिया गया है।

अनिल अंबानी पर कोर्ट ने लगाया जुर्माना

अप्रैल 2025 में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने अनिल अंबानी पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया। क्योंकि उन्होंने आयकर विभाग के 2022 के नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी।

उनसे यह रकम टाटा मेमोरियल अस्पताल को दान करने को कहा गया। इस खबर से भी उनका नाम चर्चा में आया।

हाल ही में विजय माल्या के मामले में कोई नई कानूनी खबर नहीं आई है। लेकिन उनकी फरारी और ऋण वसूली प्रक्रिया अभी भी चर्चा का विषय बनी हुई है।

कुछ एक्स पोस्ट में माल्या ने अनिल अंबानी का नाम लेकर कथित तौर पर बीजेपी सरकार पर निशाना साधा, जिससे मामला और गरमा गया। एक पोस्ट में दावा किया गया कि माल्या ने राजीव गांधी सरकार के दौरान अपने शराब कारोबार के लिए कानून बदल दिए थे।

अनिल अंबानी और विजय माल्या दोनों ही बड़े कारोबारी हैं जिनके कर्ज की वजह से भारतीय बैंकों को नुकसान हुआ है। माल्या के फरार होने और अंबानी के भारत में रहकर कारोबार जारी रखने के बीच तुलना ने लोगों में गुस्सा और बहस को जन्म दिया है। कई लोग इसे “अमीरों के लिए अलग कानून” के रूप में देखते हैं।

लोगों के गलत दावे

एक्स पर कुछ पोस्ट में कहा गया है कि अनिल अंबानी का कर्ज ₹49,000 करोड़ से ₹455 करोड़ में निपटा दिया गया।  जो कि गलत है। रिलायंस कम्युनिकेशंस का कर्ज एनसीएलटी के तहत निपटान प्रक्रिया में है। किसी भी आधिकारिक स्रोत ने ऐसी किसी छूट की पुष्टि नहीं की है।

विजय माल्या का कुल कर्ज

माल्या का कर्ज ₹6,203 करोड़ था। बैंकों ने ब्याज सहित ₹14,000 करोड़ वसूले। अनिल अंबानी की कंपनियों का कर्ज ₹40,000-49,000 करोड़ के बीच है, और यह प्रक्रिया अभी भी चल रही है।

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