Barren Island Volcano: भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी

Barren Island Volcano : बैरन आइलैंड भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है। जो अंडमान निकोबार द्वीप समूह में स्थित है। यह हाल ही में फिर सक्रिय हुआ है।

Barren Island Volcano

बैरन आइलैंड बंगाल की खाड़ी में अंडमान सागर में स्थित है। इसका निर्देशांक 12°17′N 93°52′E है। यह पोर्टब्लेयर से 140 किलोमीटर दूर है। यह द्वीप उत्तर और मध्य अंदमान जिले का हिस्सा है। यह रंगत तालुक में आता है। यह पूर्वी ज्वालामुखी द्वीप समूह का हिस्सा है।

बैरन आइलैंड की ऊंचाई

Barren Island भारतीय और बर्मी टेक्टॉनिक प्लेटों के किनारे पर स्थित है। जो इसे भूकंपीय रूप से सक्रिय बनाता है। Barren Island Volcano समुद्र तल से 2250 किलोमीटर नीचे है। इसका आधार प्राचीन महाद्वीप क्रस्ट पर टिका हुआ है। जो लगभग 106 मिलियन वर्ष पुराना है।

Barren Island Volcano का क्षेत्रफल

द्वीप का कुल क्षेत्रफल 8.34 वर्ग किलोमीटर है। इसकी लंबाई 3.4 किलोमीटर है और चौड़ाई  3.1 किलोमीटर है। तटरेखा 12.38 किलोमीटर लंबी है। यह छोटा लेकिन एक उबड़ खाबड़ द्वीप है, जो मुख्य रूप से ज्वालामुखीय चट्टानों से बना हुआ है। Barren Island ज्वालामुखी की छोटी समुद्रतल से 354 मीटर ऊपर है। यह एक stratovolcano है। इसकी पश्चिम दिशा में एक दरार है , जहाँ लावा बनता है।

बैरन ज्वालामुखी की खासियत

बैरन आइलैंड दक्षिण एशिया का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है। जो इसे भूवैज्ञानिक रूप से अनोखा बनाता है। यह लगातार गैस उत्सर्जन और छोटे विस्फोटों के लिए जाना जाता है। 2017 के विस्फोट में लावा के फव्वारे 100 मीटर ऊँचे देखे गए थे। यह ज्वालामुखी समुद्री जीवन को प्रभावित करता है।

बैरन आइलैंड वन्यजीव अभरण्य

इस द्वीप पर कोई मानवीय बस्ती नहीं है। लेकिन यह बैरन आइलैंड वन्यजीव अभरण्य के अंतर्गत संरक्षित है। यहां दो मीठे पानी के झरने हैं जो मोटी वनस्पति को सहारा देते हैं। 1991 के विस्फोट ने जीव जंतुओं को प्रभावित किया था। इस विस्फोट के बाद चूहे , जंगली बकरियां , कबूतर , चमगादड़ और कई तरह के कीट पतंग बच गए थे।

ज्वालामुखीय गतिविधियों के कारण इस द्वीप पर मानवीय पहुंच प्रतिबंधित है। हालांकि, इसके आसपास के क्षेत्र में स्कूबा डाइविंग काफी लोकप्रिय है।

बैरन आइलैंड पर विस्फोटों का इतिहास
  • 1991 : यह विस्फोट छह महीने तक चला।
  • 1994 : छोटा विस्फोट
  • 2005 में विस्फोट हुआ
  • 2017 : ज्वालामुखी में छोटा विस्फोट हुआ
  • 2022 में अंतिम बड़ा विस्फोट
  • 2025 :हालिया दो छोटे विस्फोट

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