CSP Hina Khan ने जय श्रीराम के नारे लगाकर की वकील अनिल मिश्रा की बोलती बंद

CSP Hina Khan: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में CSP हिना खान और हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अनिल मिश्रा के बीच तीखी बहस हुई। हिना खान ने जय श्रीराम के नारे लगाकर वकील की बोलती बंद कर दी।

CSP Hina Khan ने लगाए नारे

मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापना को लेकर लंबे समय से चला आ रहा विवाद 15 अक्टूबर 2025 को एक नए मोड़ पर पहुंच गया। दरअसल, सिटी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (CSP) हिना खान और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट अनिल मिश्रा के बीच तीखी नोकझोंक हुई। मामला प्रशासनिक आदेशों से शुरू होकर धार्मिक नारों की टक्कर में बदल गया, जब अनिल मिश्रा के समर्थकों ने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए और हिना खान पर ‘सनातन विरोधी’ होने का आरोप लगाया। जवाब में हिना खान ने खुद ही जोर-जोर से ‘जय जय श्री राम’ के नारे लगाए, जिससे माहौल शांत हो गया।

CSP Hina Khan ने जय श्रीराम बोलकर सुलझाया मामला

CSP हिना खान ने धारा 144 के तहत सड़क पर टेंट लगाने या भीड़ इकट्ठा करने की अनुमति से इंकार कर दिया। अनिल मिश्रा ने इसे सनातन धर्म का अपमान बताते हुए हिना खान पर ‘सनातन विरोधी’ होने का आरोप लगाया। उनके समर्थकों ने जोर-जोर से ‘जय श्री राम, जय श्री राम’ के नारे लगाने शुरू कर दिए, ताकि दबाव बनाया जा सके।

CSP Hina Khan का अनिल मिश्रा को करारा जवाब

हिना खान (जो मुस्लिम समुदाय से हैं) ने सूझबूझ दिखाते हुए आंखों में आंखें डालकर अनिल मिश्रा को संबोधित किया। उन्होंने खुद चार बार ‘जय श्री राम, जय जय श्री राम’ के नारे लगाए और कहा, “नहीं, मैं सनातन की विरोधी नहीं हूं… दबाव के लिए नारे नहीं चलेंगे। और कुछ?” इससे भीड़ सन्नाटे में आ गई, और विवाद शांत हो गया। हिना खान ने स्पष्ट कहा कि यह प्रशासनिक आदेश का मामला है, न कि धर्म का।

CSP Hina Khan का वीडियो वायरल

पूरा घटनाक्रम मोबाइल पर रिकॉर्ड हो गया। जो X (पूर्व ट्विटर) और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर लाखों बार देखा गया। कई यूजर्स ने हिना खान की तारीफ की। जबकि कुछ ने इसे धार्मिक तनाव बढ़ाने वाला बताया।

CSP Hina Khan कौन हैं ?

CSP Hina Khan मध्य प्रदेश पुलिस की वरिष्ठ अधिकारी हैं, जो वर्तमान में ग्वालियर की CSP हैं। वे यूनिवर्सिटी क्षेत्र की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। उनके बारे में बताया जाता है कि वे शांत स्वभाव की हैं और लता मंगेशकर के गीतों में सुकून ढूंढती हैं। परिवार में उनका एक छोटा भाई, दो बहनें, भाभी और भतीजी हैं। इस घटना के बाद वे सोशल मीडिया पर ‘शांत शक्ति’ के रूप में चर्चित हो गईं। उन्होंने कहा, “मैं अपने काम से खुश हूं और जनता के सहयोग के लिए आभारी हूं।”

अंबेडकर प्रतिमा विवाद की शुरुआत

यह विवाद मई 2025 में ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगाने को लेकर भड़का था। वकीलों के दो गुटों के बीच बहस बढ़ी, जो हिंसक झड़प तक पहुंच गई। एक पक्ष प्रतिमा लगाने के पक्ष में था, जबकि दूसरे पक्ष (जिसमें अनिल मिश्रा जैसे वकील शामिल थे) ने इसे सनातन धर्म का अपमान बताया।

अनिल मिश्रा की विवादित टिपण्णियां

अनिल मिश्रा ने सोशल मीडिया पर आंबेडकर पर आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं, जिसके बाद ग्वालियर और महाराष्ट्र में उनके खिलाफ कई FIR दर्ज हुईं। इससे दलित संगठनों और अन्य समूहों में गुस्सा भड़क गया। 15 अक्टूबर को बड़े विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया गया था।  जिसके चलते शहर में धारा 144 लागू कर दी गई। भारी पुलिस बल को (करीब 4,000 जवान) तैनात किया गया।

हनुमान मंदिर और रामचरितमानस पाठ

विवाद के बीच अनिल मिश्रा और उनके समर्थक फूलबाग या सिटी सेंटर इलाके में हनुमान मंदिर पर रामचरितमानस (रामायण) का पाठ और सुंदरकांड आयोजन करना चाहते थे। प्रशासन ने माहौल बिगड़ने के डर से मंदिर पर ताला लगवा दिया और टेंट का सामान लौटा दिया। कुछ रिपोर्टों में इसे अनिल मिश्रा के जन्मदिन समारोह से जोड़ा गया है, जहां सड़क पर टेंट लगाने की अनुमति मांगी गई थी

घटना 15 अक्टूबर 2025 को पटेल नगर इलाके में हुई। अनिल मिश्रा और उनके 50-60 समर्थक टेंट लगाने और पाठ आयोजित करने पहुंचे थे।

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Scroll to Top