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SARS के दौरान भी देखे गए थे ब्लैक पंगस के मामले: डॉक्टर रणदीप गुलेरिया

मई 21, 2021 | by

Black pangus cases were also seen during SARS: Dr. Randeep Guleria

AIIMS अस्पताल के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने बताया कि यह इंफेक्शन को सार्स के प्रकोप के दौरान भी कुछ लोगों में पाया गया था। दरअसल सार्स का मतलब था सीवियर एक्यूट रेस्पिरेट्री सिंड्रोम यानि ऐसी बीमारी जो सांस की तकलीफ का कारण बनती है।

कोरोना संक्रमण से उबर चुके अब कई लोग एक नए इंफेक्शन ब्लैक फंगस की चपेट में आ रहे हैं। इस तरह के मामले पिछले 24 घंटे में 5500 आ चुके हैं। ब्लैक फंगस (Mucormycosis) ने देशभर में करीब 5500 लोगों को संक्रमित किया है और उनमें से 126 मरीजों की मौत हो गई। है एम्स के डायरेक्टर ने बताया कि इस इंफेक्शन को SARS के प्रकोप के दौरान भी कुछ लोगों में देखा गया था। दरअसल,सार्स का मतलब है ‘सीवियर एक्यूट रेस्पिरेट्री सिंड्रोम यानी एक ऐसी घातक बीमारी जो सांस की तकलीफ का कारण बनती है।

बता दें इन दिनों ब्लैक फंगस काफी तेजी से फैल रहा है। पिछले 24 घंटे में केवल महाराष्ट्र में इस इंफेक्शन से 90  लोगों की मौत हो चुकी है। यहां तक कि कई राज्यों में एंटीफंगल दवा की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। यह इंफेक्शन खासतौर से उन लोगों को संक्रमित कर रहा है जो कोरोनावायरस से संक्रमित रह चुके थे और संक्रमण के दौरान इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे थे। इन संक्रमित होने वाले लोगों में ज्यादातर लोग शुगर के पेशेंट हैं ।

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यह फंगस इतना खतरनाक है कि इससे इंसान की आंखों की रोशनी तक खत्म हो जाती है और जान चली जाती है। अमेरिकन सीडीसी के अनुसार ब्लैक फंगस एक दुर्लभ फंगल संक्रमण है। लेकिन एक गंभीर संक्रमण है जो मोल्डस या फंगी के एक समूह की वजह से होता है।

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