भारत देश की राजनीती रोजगार गरीबी भुखमरी से हटकर रामभक्त हनुमान पर अटकी हुई है। या यूँ कहें हनुमान जी के नाम पर देश को असल मुद्दों से भटकाया जा रहा है।
सबसे पहले आपको बता दें देश की राजनीती में हनुमान जी का नाम कब और किसने जोड़ा ? इसी वर्ष राजस्थान विधानसभा चुनावी रैली में राजस्थान के अलवर जिले में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हनुमान को दलित बताया था। कारण सिर्फ इस क्षेत्र में दलित मतदाताओं का बाहुल होना था। वैसे तो योगी जी की तस्वीरें एक पालतू बंदर के साथ मीडिया पर वायरल होती रहती हैं। हिंदू धर्म में बंदर को हनुमान देवता का प्रतीक माना जाता है ,ऐसी मान्यता है। योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण में कहा था कि हनुमान जी वनवासी अधिकारों से वंचित थे। ऐसा उन्होंने सिर्फ वोट बैंक पर बीजेपी का कब्जा करने के लिए कहा था जिसकी दूसरे राजनितिक दलों कड़ी आलोचना की थी। उनके बयान के बाद समाज के दलित वर्ग ने कई हनुमान मंदिरों पर अपना हक जताते हुए कब्जा करने की कोशिश भी की जो कई समाचार चैनलों और टीवी डिबेट का अच्छा खासा मसाला बनी।
योगी के बयान के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साये ने हनुमान को आदिवासी बताया। योगगुरु स्वामी रामदेव ने क्षत्रिय बताया यहीं नहीं स्वामी स्वरूपानंद शंकरचार्य ने हनुमान को ब्राह्मण तक कह डाला।
बीजेपी के नेता और राजयसभा सांसद गोपाल नारायण सिंह ने तो यहां तक कह दिया। हनुमान एक बंदर थे। पशुओं के श्रेणी में रखते हुए उनको दलित से भी नीचे का दर्जा दे डाला। हनुमान को सिर्फ राम की वजह से भगवान का दर्जा मिला हुआ है ऐसा उन्होंने कहा।
आज बीजेपी के विधायक भुक्क्ल नवाब ने हनुमान जी की जाती को लेकर एक और अनोखा बयान दिया है। नवाब साहब ने अपने बयान में कहा की हनुमान जी मुसमन थे। अपने वक्तव्य की पुष्टि करते हुए उन्होंने कई उदाहरण भी दिए। जैसे फरहान,रमजन,सुलेमान,कुर्बान,जिशान,सुलेमान सलमान आदि के पीछे लगे हुए मान एवं आन आदि हैं
हनुमान चालीसा की राजनीती यहीं खत्म नहीं होती है। एक ताज़ा बयान में पूर्व क्रिकेटर और बीजेपी नेता कीर्ति आज़ाद ने हनुमान को पड़ौसी मुल्क चीन का निवासी ठहराया है।( मेरे खेल से नेता जी को अब उनका वीज़ा भी लगे हाथों बनवा देना चाहिए ताकि कल कोई और मुल्क हनुमान जी को लेकर अपना अधिकार न जताने लगे )
उपरोक्त सभी नेताओं ने जो हनुमान जी के जाति धर्म गोत्र का वर्गीकरण किया है। ये सब बीजेपी के या फिर समर्थित ही हैं। वो एक भजन है राम चलें हनुमान के बिना हनुमान न चले श्री राम के बिना। बीजेपी का राम मंदिर मुद्दा अब कुछ फीका पड़ता नजर आ रहा शायद यही वजह है अब हनुमान का मुद्दा उछाला जा रहा है। देश को असली मुद्द्दों से भटकाया जा रहा है। साल 2014 में मोदी जी ने सत्ता में आने से पहले जो वादे किए थे। उनको पूरा नहीं कर पाए तो भगवान राम को टेंट में छोड़ कर हनुमान जी को आगे किया जा रहा है।
देश की जनता को न मंदिर चाहिए न मस्जिद। जनता को चाहिए रोजगार ,शिक्षा स्वास्थ्य ,अस्पताल ,मुलभुत सुविधाएं ,बढ़ते हुए भर्ष्टाचार पर अंकुश ,महिलाओं को सुरक्षा ,बच्चों को भविष्य। लेकिन हम सब वहीं अटके हुए हैं। हनुमान जी कौन थे।?
RELATED POSTS
View all