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‘बिलकिस बानो रेप केस के 11 दोषियों को केंद्र सरकार की सहमति पर रिहा किया गया’ गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया

अक्टूबर 18, 2022 | by

’11 convicts in the Bilkis Bano rape case were released with the consent of the Central Government’ Gujarat Government told the Supreme Court.

गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि बिलकिस बानो के 11 दोषी जेल में 14 साल की सजा काट चुके थे। जिसके बाद उन्हें अच्छे व्यवहार के लिए रिहा किया गया। इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की भी परमिशन ली गई थी। CBI के SP  और स्पेशल जज ने बिलकिस बानो के दोषियों को छोड़े जाने का विरोध किया था। जबकि गुजरात में एसपी, डीएम , जेल अधीक्षक और JAC ने छोड़ने का समर्थन किया था।

11 दोषी रिहा

गुजरात सरकार ने सोमवार के दिन सुप्रीम कोर्ट में बताया कि बिलकिस बानो रेप केस के दोषियों को रिहा करने का फैसला इसलिए लिया गया , क्योंकि उन्होंने 14  साल तक जेल में रहते हुए अच्छा बर्ताव किया था। इस मामले में केंद्र सरकार की भी सहमति ली गई थी। दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में दायर एक हलफनामे में गुजरात सरकार ने यह भी कहा कि सीबीआई की स्पेशल क्राइम सेल ( मुंबई ) के पुलिस अधीक्षक और सीबीआई के विशेष सिविल जज और सेशन कोर्ट ( बॉम्बे ) ने पिछले साल कैदियों की जल्द रिहाई का विरोध किया था।

सीबीआई ने किया था विरोध

गुजरात के गोधरा जेल के अधीक्षक को लिखे खत में सीबीआई के अधिकारी ने कहा था कि किया गया अपराध जघन्य और और गंभीर था इसलिए उन्हें उदारता दिखाते हुए समय से पहले रिहा नहीं किया जा सकता।

सिविल जज ने विरोध करते हुए कहा था ,” बिलकिस बानो केस में सभी अभियुक्तों को निर्दोष लोगों के रेप और हत्या का दोषी पाया गया था। आरोपियों का पीड़िता से कोई दुश्मनी या संबंध नहीं था। यह अपराध केवल इस आधार पर किया गया कि पीड़िता एक धर्म विशेष से है। इस मामले में नागबलिगों को भी नहीं बख्शा गया। यह मानवता के खिलाफ सबसे बड़ा अपराध है। ”

गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपने हलफनामे में कहा कि 1992 की निति के अनुसार, जेल के महानिरीक्षक को एक दोषी की जल्द रिहाई के लिए , जिला मजिस्ट्रेट , जिला पुलिस अधिकारी , जेल अधीक्षक और जेल सलाहकार समिति राय प्राप्त करना अनिवार्य है। जिसके बाद जेल महानिरीक्षक को कैदियों की लिस्ट और फैसले की कॉपी के साथ अपनी राय देने और सरकार को सिफारिश भेजने के लिए बाध्य किया जाता है।

राज्य सरकार ने कहा कि उसने कई अधिकारीयों की राय मांगी थी। जिनमें सीबीआई के सिविल जज , CBI की स्पेशल क्राइम ब्रांच के पुलिस अधीक्षक ,सीबीआई के विशेष सिविल जज , दाहोद के पुलिस अधीक्षक , कलेक्टर , जिला मजिस्ट्रेट , गोधरा जेल अधीक्षक और जेल सलाहकार समिति शामिल हैं। जिनमें से तीन को छोड़कर बाकि सभी ने रिहाई की सिफारिश की थी।

क्या है मामला ?

बता दें , गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए दंगो के दौरान दाहोद जिला के लिमखेड़ा तालुका में 3 मार्च 2002  भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था। उस समय बानो गर्भवती थी। गुजरात सरकार ने 15 अगस्त 2022 को सभी 11 दोषियों को जेल में अच्छे बर्ताव के आधार पर रिहा कर दिया था। रिहा किए गए 11  दोषियों को साल 2008 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

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