crimean congo hemorrhagic fever का पहला मामला 1944 में क्रिमीआ में दर्ज हुआ था। तब इस नाम crimean hemorrhagic रखा गया था। भारत में पहली बार सितंबर 2020 में महाराष्ट्र के पालघर में एक मरीज में इस वायरस की पुष्टि हुई थी। यह बीमारी coronavirus से भी खतरनाक है।
crimean congo hemorrhagic fever: हर दूसरे मरीज की होती है मौत
दुनिया भर में कोरोना और मंकीपॉक्स जैसे वायरस के संक्रमण के मामले कम होते जा रहे हैं, लेकिन एक खतरनाक वायरस ने दस्तक दी है। जिसे कांगो बुखार के नाम से जाना जाता है। यह एक खतरनाक बुखार है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस वायरस से संक्रमित होने वाले हर दूसरे मरीज की मौत हो जाती है। मौसम में बदलाव के कारण यह वायरस फ़ैल रहा है। ये बीमारी पशुओं से फैलती है। जानवरों का मांस खाने से भी यह बीमारी फैलती है।
क्रीमियन कांगो हेमोररहागिक फीवर के मामले फ्रांस और यूरोप में सामने आए हैं। ब्रिटेन में भी इस बीमारी के होने की आशंका जताई जा रही है।
लक्षण और उपचार
कांगो बुखार का कोई इलाज या वैक्सीन नहीं है। इस वायरस के लक्षण फ्लू की तरह हैं। आंखों में जलन होना ,चक्कर आना, गले में खरास होना, उल्टियां लगना और जी मितलाना इसके लक्षण हैं। यह ऑर्गन फेल्योर का कारण भी बन सकता है।
सबसे पहला मामला 1944 में क्रिमीआ में दर्ज किया गया था
CCHF का सबसे पहला मामला 1944 में क्रिमीआ में दर्ज किया गया था। जबकि भारत में साल 2020 में पहला मामला दर्ज हुआ था। यह कोरोनावायरस से कई गुना खतरनाक है। इससे मृत्यु दर 40 फीसदी है। WHO के अनुसार, यह टिंक कीड़े के जानवरों को काटने से फैलता है। इसके बाद यह वायरस पशुओं से इंसानों में फैलता है।
Published on: Jun 17, 2023 at 07:30
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