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Digital Arrest क्या होता है, क्यों वीडियो कॉल नहीं काट पाते हैं पीड़ित, जानें बचने के तरीके

Digital Arrest

Digital Arrest एक तरह का साइबर अपराध है। जहां घोटालेबाज पीड़ितों को डराने और धोखा देने के लिए कानून प्रवर्तन अधिकारीयों या फिर पुलिस के रूप में पेश आते हैं। वे पीड़ितों को मानसिक रूप से डराकर रकम चुकाने के लिए मजबूर करते हैं। भारत में इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं।

Digital Arrest क्या होता है ?

डिजिटल अरेस्ट एक तरह का नया साइबर अपराध है। जहां स्कैमर्स अपने जाल में फंसे पीड़ितों को डराने और धोखा देने के लिए कानून प्रवर्तन अधिकारीयों, जैसे सीबीआई, ED, क्राइम ब्रांच, CID या फिर पुलिस के रुप में पेश आते हैं। पीड़ितों को रकम चुकाने के लिए मजबूर करने के लिए वे अक्सर जेल की सजा या फिर गिरफ्तार करने जैसी क़ानूनी धमकियां देते हैं।

ठग पीड़ित को रकम चुकाने के लिए मजबूर कर देते हैं। पीड़ित कानून की कार्रवाई होने से डरकर ठगों को मुंह मांगी फिरौती देते हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश के मेरठ के एक पूर्व बैंक कर्मी के साथ डिजिटल फ्रॉड हुआ है।

मेरठ में हुआ digital arrest फ्रॉड

मेरठ के रिटायर्ड बैंक कर्मचारी को ठगों ने चार दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा। ठगों ने पूर्व बैंक कर्मचारी से 1 करोड़ 73 लाख रुपए की ठगी करने के बाद रिलीज किया।

डिजिटल अरेस्ट के दौरान घोटालेबाज किसी व्यक्ति को अपना शिकार बनाने के लिए वीडियो कॉल करते हैं। वे पीड़ित को डराकर या लालच देकर घंटों तक या फिर कई दिनों तक कैमरे के सामने बैठे रहने के लिए मजबूर कर देते हैं। इस दौरान ठग, अपने शिकार व्यक्ति की निजी जानकारियां निकालकर उसके बैंक अकाउंट को खाली कर देते हैं।

Digital Arrest पीड़ित क्यों वीडियो कॉल नहीं काट पाता है ?

ऐसे में कई सवाल सामने आते हैं। जब कोई व्यक्ति डिजिटल अरेस्ट हो जाता है तो वह वीडियो कॉल क्यों कट नहीं कर पाता ? व्यक्ति कई दिनों तक कैसे डिजिटल अरेस्ट रह सकता है ? इस तरह के और भी कई सवाल हैं, जिनका जवाब खासतौर से साइबर सिक्योरिटी एजेंसियों को पता होना चाहिए।

दरअसल, डिजिटल अरेस्ट हुआ व्यक्ति मानसिक रूप से ठंगों द्वारा हैक कर लिया जाता है। फ्रॉड करने वाले पीड़ित को कहते हैं कि हम इनकम टैक्स विभाग, ED,CBI या फिर अन्य किसी एजेंसी का हवाला देते हुए डरा देते हैं।

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वीडियो कॉल के दौरान पीड़ित व्यक्ति को ऐसा दिखाया जाता है कि उसके सामने वाला फलां विभाग से है। फिर ठग पीड़ित को ये धमकी देते है कि अगर कॉल कट किया तो यह कानून का उल्लंघन माना जाएगा और उसके बाद आप गिरफ्तार कर लिए जाओगे।

पीड़ित को वीडियो कॉल में ऐसे दिखाया जाता है कि वो किसी सरकारी एजेंसी या पुलिस स्टेशन के साथ वीडियो कॉल पर है। ऐसे में व्यक्ति यही सोचता है कि अगर वह कैमरे के सामने रहने से गिरफ्तारी से बच सकता है तो यही बेहतर होगा।

इसके अलावा कुछ लोग पुलिस के डर के कारण भी कैमरे के सामने से नहीं हटते हैं। भारत में इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं। कई बड़े शहरों के पढ़े-लिखे लोग भी डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो चुके हैं।

Digital Arrest घोटाला कैसे काम करता है ?

Digital Arrest को पहचानें

ऐसे मामलों में यह ध्यान रखना सबसे महत्वपूर्ण है कि “डिजिटल गिरतारी” जैसी कोई चीज नहीं होती है। कानून प्रवर्तन एजेंसियां किसी फोन कॉल,व्हाट्सएप या ईमेल के जरिए किसी से संपर्क नहीं करती हैं। यदि आपको क़ानूनी प्रवर्तन एजेंसी होने का दावा करते हुए पैसे या रिश्वत की मांग की जाती है तो यह एक तरह का डिजिटल घोटाला है। इससे बचें और क़ानूनी सहायता लें।

Digital Arrest होने से कैसे बचें ?

डिजिटल अरेस्ट या फ्रॉड की रिपोर्ट करने के लिए यहां क्लिक करें

डिजिटल गिरफ्तारी के बारे में जागरूक रहें और दूसरों को भी जागरूक करें। ऐसे में आप खुद को साइबर अपराध का शिकार होने से बचने के साथ-साथ दूसरे लोगों को भी बचा सकते हैं। 1930 पर कॉल करके भी मदद ले सकते हैं।

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