Dilip Doshi passes away: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व लेग स्पिनर दिलीप दोशी का 77 वर्ष की उम्र में लंदन में निधन हो गया है। उनके निधन का कारण हृदयघात बताया गया।
Dilip Doshi passes away
दिग्गज स्पिनर दिलीप दोशी का लंदन में निधन हो गया है। उनके परिवार के एक ब्यान के अनुसार, दोशी का निधन हार्ट अटैक के कारण हुआ है। महान क्रिकेटर पिछले कई वर्षों अपने परिवार के साथ लंदन में रह रहे थे। वे अपने पीछे बेटा, बेटी और पत्नी को छोड़ गए हैं। दिलीप दोशी के निधन की खबर से क्रिकेट जगत में शोक की लहर है।
बीसीसीआई, सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन, पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, अनिल कुंबले और रवि शास्त्री समेत कई खिलाड़ियों ने उनके निधन पर शोक जताया है।
दिलीप दोशी (Dilip Doshi) भारतीय क्रिकेट के उन गिने चुने खिलाड़ियों में से एक थे,देर से शुरुआत करने बावजूद अपनी गहरी छाप छोड़ी है। उनकी शानदार गेंदबाजी ने उन्हें एक विशेष स्थान दिलाया है। सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष जयदेव शाह ने उन्हें महान क्रिकेट और मेंटोर बताया है। BCCI सचिव निरंजन शाह ने उन्हें सबसे अच्छे इंसानों में से एक कहा। दोशी की मृत्यु भारतीय क्रिकेट के लिए एक बड़ी क्षति है। उनकी विरासत हमेशा भारतीय क्रिकेट के इतिहास में जीवित रहेगी।
दिलीप दोशी का क्रिकेट डेब्यू
दिलीप दोशी ने 30 साल की उम्र के बाद क्रिकेट में डेब्यू किया था। इसके बाद उन्होंने 100 से अधिक टेस्ट विकेट लिए। 1981 में मेलबोर्न टेस्ट मैच में उनकी शानदार गेंदबाजी के कारण भारत की जीत हुई थी। उन्होंने यह यादगार मैच कपिल देव और करसन घावरी के साथ मिलकर खेला था। वह वेस्टइंडीज के दिग्ग्गज क्रिकेटर गैरी सोबर्स से काफी प्रभावित थे। दिलीप दोशी ने 1983 में चुपचाप अंतराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। हालांकि, उन्होंने 1986 तक प्रथम श्रेणी मैच खेलना जारी रखा।
दिलीप दोषी के मैच
दिलीप दोशी ने 1979 से लेकर 1983 तक भारत के लिए 33 टेस्ट मैच खेले। वह चश्मा पहन कर क्रिकेट खेलत्ते थे। उन्होंने 114 टेस्ट विकेट लिए। उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1981 के मेलबोर्न टेस्ट मैच में रहा। जहां उन्होंने 5 विकेट लिए थे।
क्रिकेटर दिलीप रसिकलाल दोशी का जन्म
दिलीप रसिकलाल दोशी का जन्म 22 दिसंबर 1947 को गुजरात के राजकोट में हुआ था। वे बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज थे। जिन्होंने भारतीय क्रिकेट में अपनी अलग पहचान बनाई। दोशी ने घरेलू क्रिकेट की शुरुआत सौराष्ट्र और बाद में बंगाल से की थी।