अगर आपका लीवर सही तरीके से काम नहीं करता है तो इससे शरीर में कई बीमारियां हो सकती हैं। इन बीमारियों में फैटी लिवर कॉमन बीमारी है। इन बीमारियों से बचने के लिए खानपान में सुधार के साथ कुछ योगासन भी काफी मददगार होते हैं।
यकृत हमारे शरीर का एक अहम हिस्सा है। अगर जिगर सही तरीके से काम ना करे तो कई तरह की बीमारियां शरीर में पैदा होने लगती है। उन बीमारियों में फैटी लीवर और सिरोसिस सामान्य बीमारियां हैं। बीमारियों से बचने के लिए आप कुछ आसान योगा आसन घर पर कर सकते हैं। चलिए आज हम आपको बताते हैं यकृत को मजबूत बनाने वाले योगासनों के बारे में।
भुजंगासन
फैटी लीवर की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए भुजंग आसन एक बेहतरीन योगा अभ्यास है। इस आसन को करने से पूरे शरीर में खिंचाव आता है। जिससे शरीर में रक्त संचरण सही तरीके से होता है। जिन लोगों को फैटी लीवर या लिवर सिरोसिस जैसी परेशानी है उन्हें अपने दिनचर्या में भुजंगासन को शामिल करना चाहिए।
सेतुबंध आसन
सेतुबंध आसन करने से ना सिर्फ आपका यकृत मजबूत रहता है बल्कि शरीर के कई अन्य अंग भी सही तरीके से काम करते हैं। इस आसन को करने के लिए पीठ के बल लेटकर घुटने से पैरों को मोड ले और अपने हाथों से पंजे के पीछे वाले हिस्से को पकड़ ले। इसके बाद सांस अंदर करते हुए कमर के नीचे वाले हिस्से को ऊपर तक ले जाएं। थोड़ी देर तक सांस रोक ले और फिर सांस को छोड़ दें। उसके बाद फिर नीचे आए।
गोमुखासन
जिगर से जुड़ी समस्या को दूर करने के लिए गोमुख अभ्यास करना बहुत ज्यादा फायदेमंद है। गोमुखासन करने से लीवर में मौजूद टॉक्सिंस बॉडी से बाहर निकल आते हैं। लीवर सिरोसिस से पीड़ित लोगों के लिए गोमुखासन अभ्यास सबसे अच्छा होता है। यह यकृत को सक्रिय करने और ऑक्सीजन और ब्लड फ्लो को तेज करने में मदद करता है।
कपालभाति आसन
यह एक सांस लेने वाला अभ्यास है। जो लिवर को बूस्ट करने में मदद करता है। इसके करने से कार्य क्षमता बढ़ती है। कपालभाति प्राणायाम एक पावरफुल ब्रीदिंग अभ्यास है। जो न केवल यकृत को साफ करता है बल्कि शरीर के अंदर सही संतुलन बनाए रखने में भी मदद करता है। योगासन को करने के लिए जमीन पर बैठ कर शुरुआत करें। पहले सांस को अंदर की तरफ कीजिए फिर नाक की मदद से सांस को बाहर छोड़ें। इस प्रक्रिया को बार-बार दोहराएं।
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