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तबलीगी जमात से जुड़े केस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मीडिया के एक वर्ग की खबरों में था सांप्रदायिक रंग

सितम्बर 2, 2021 | by

During the hearing on the case related to Tablighi Jamaat, the Supreme Court said – there was a communal color in the news of a section of the media

भारत के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एस बोपन्ना की पीठ फर्जी खबरों के प्रसारण पर रोक के लिए जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान जस्टिस रमना ने मीडिया को फर्जी खबरें फैलाने जिम्मेदार ठहराया।

तबलीगी जमात पर चली थी खबरें 

कोरोनावायरस के शुरुआती दौर में भारत की राजधानी दिल्ली की एक मस्जिद में तबलीगी जमात के लोगों को इकट्ठा होना मीडिया के लिए एक विशेष खबर रहा था। उस समय मीडिया ने तरह तरह की खबरें तबलीगी जमात के खिलाफ चलाई। दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में धार्मिक सभाओं से संबंधित फर्जी खबरें फैलाने से रोकने के लिए और इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्यवाही करने का केंद्र को निर्देश देने का के लिए जमीयत उलेमा ए हिंद ने अपनी याचिका दायर की थी। जिस पर एक वर्ग विशेष के खिलाफ खबरों में सांप्रदायिक रंग देने की बात कही गई ।

जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर कोर्ट ने की सुनवाई 

चीफ जस्टिस एनवी रमना सहित तीन जजों की पीठ ने फर्जी खबरों के प्रसारण पर रोक के लिए जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई की। जमीयत उलेमा ए हिंद ने अपनी याचिका में निजामुद्दीन स्थित मरकज में धार्मिक सभा से संबंधित फर्जी खबरें फैलाने से रोकने और इनके लिए जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई करने का केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया है।

सीजेआई रमना की पीठ ने पूछा,” निजी समाचार चैनलों के एक वर्ग में दिखाई हर चीज में सांप्रदायिकता का रंग दिया गया है। आखिरकार इससे देश की छवि खराब हो रही है। क्या केंद्र इन निजी चैनलों के नियमन की कभी कोशिश भी की है।”

उच्चतम न्यायालय ने कहा की सोशल मीडिया केबल शक्तिशाली आवाजों को सुनता है और न्यायाधीशों संस्थानों के खिलाफ बिना किसी जवाबदेही के कई चीजें लिखी जाती है।

सर्वोच्च अदालत ने कहा वेब पोर्टल, “यूट्यूब चैनल पर फर्जी खबरों तथा छींटाकशी पर कोई नियंत्रण नहीं है। अगर आप यूट्यूब पर देखेंगे तो पाएंगे कि कैसे फर्जी खबरें आसानी से प्रसारित की जा रही है और कोई भी यूट्यूब पर अपना चैनल शुरू कर सकता है।”

सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया तथा वेब पोर्टल सहित ऑनलाइन सामग्री के नियमन के लिए हाल ही में लागू आईटी नियमों के मुद्दे पर विभिन्न उच्च न्यायालयों से याचिकाओं को स्थानांतरित करने की केंद्र की याचिका पर 6 हफ्ते बाद सुनवाई करने के लिए कहा है।

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