शराब नीति मामले में ED ने दिल्ली सरकार के मंत्री कैलाश गहलोत को तलब किया
Delhi case : दिल्ली के शराब नीति मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के कुछ दिन बाद ही ईडी ने इसी मामले में दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत को आज शनिवार के दिन तलब किया है। कैलाश गहलोत प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर पहुंच चुके हैं। इससे पहले इसी मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, राज्य सभा सांसद संजय सिंह जेल में बंद हैं।
Delhi case: प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली की शराब नीति मामले में आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत को पूछताछ के लिए तलब किया है। सूत्रों से मिली रिपोर्ट के अनुसार, कैलाश गहलोत ईडी की पूछताछ के लिए जांच एजेंसी के कार्यालय पहुंच चुके हैं। ये घटनाक्रम 21 मार्च को अरविंद की गिरफ्तारी के बाद हुआ।
ईडी के सूत्रों के अनुसार, कैलाश गहलोत उस पैनल का हिस्सा थे जिसने 2021-22 जिसने अब समाप्त हो चुकी, दिल्ली सरकार की उस शराब नीति का मसौदा तैयार किया था। गहलोत नजफगढ़ से विधायक हैं और दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री हैं।
जांच एजेंसी ईडी ने दावा किया है कि दिल्ली की शराब नीति का मसौदा तैयार होने के दौरान कैलाश गहलोत ने आम आदमी पार्टी के तत्कालीन संचार प्रभारी विजय नायर को अपने आधिकारिक आवास का उपयोग करने की अनुमति दी थी। ईडी ने आरोप लगाया है कि गहलोत लगातार अपने मोबाइल नंबर बदल रहा है।
Delhi case: दिल्ली की शराब नीति मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने 21 मार्च को उनके आवास से गिरफ्तार किया था। ईडी ने अरविंद केजरीवाल की दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इंकार के कुछ ही घंटों बाद गिरफ्तार कर लिया था। हिरासत में लेने के एक दिन बाद केजरीवाल को 22 मार्च को अदालत में पेश किया गया। जहां अदालत ने ईडी को केजरीवाल की कस्टडी 28 मार्च तक दी थी। 28 मार्च को फिर अरविंद केजरीवाल को अदालत में पेश किया गया।
प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत से केजरीवाल की 7 दिन की कस्टडी मांगी थी। कोर्ट ने चार दिन की कस्टडी दी। अब अरविंद केजरीवाल को 1 अप्रैल को फिर अदालत में पेश किया जाएगा।
शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल के अलावा पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी हिरास्त में हैं। यह मामला दिल्ली सरकार की शराब नीति को तैयार करने और क्रियान्वित करने में हुए कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्डरिंग से संबंधित है।
सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय का आरोप है कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने के लिए दिल्ली सरकार ने अनियमितताएं बरती, जिसकी एवज में डीलरों ने आप को कथित तौर पर रिश्वत दी थी। जबकि आम आदमी पार्टी जांच एजेंसियों के इस आरोप का शुरू से खंडन करती आ रही है।
बाद में दिल्ली की शराब नीति को रद्द कर दिया गया था और दिल्ली के उपराजयपाल वीके सक्सेना ने इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।