Hindenburg Research ने अडानी मामले में बड़ा दावा किया है। अपनी नई रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने सेबी प्रमुख माधबी पूरी बुच और उनके पति धवल बुच पर गौतम अडानी के साथ मिलकर स्कैम करने का दावा किया है। वहीं, सेबी चेयरपर्सन ने रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को आधारहीन बताया है।
अमेरिकी शार्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग ने अडानी को लेकर नई रिपोर्ट जारी की है। शनिवार शाम को जारी की गई रिपोर्ट में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India ) प्रमुख माधबी पूरी बुच और उनके पति धवल बुच पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
अडानी समूह पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया, ” लगभग 18 महीने हो गए हैं जब अडानी ग्रुप पर हमारी मूल रिपोर्ट में इस बात के जबरदस्त सबूत पेश किए गए थे कि भारतीय समूह, कॉरपोरेट इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला कर रहा था। हमारी रिपोर्ट ने अपतटीय – मुख्य रूप से मॉरीशस आधारित सेल संस्थाओं के जाल का खुलासा किया, जिसका उपयोग संदिग्ध अरबों डॉलर के अघोषित लेनदेन, अघोषित निवेश और स्टॉक हेरफेर के लिए किया गया था। ”
सेबी प्रमुख भी है अडानी की हिस्सेदार
शार्ट-सेलर कंपनी ने आगे कहा , “हमारे 40 से अधिक स्वतंत्र मीडिया जांचों के साथ सबूतों के बावजूद, सेबी ने अडानी समूह के खिलाफ कोई सार्वजनिक कार्रवाई नहीं की। अडानी समूह पर कार्रवाई करने के बजाय भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने हमे एक स्पष्ट ” कारण बताओ नोटिस ” भेजा। सेबी ने हमारे 106 पेज के विष्लेषण में किसी भी तरह की तथ्यात्मक त्रुटि का आरोप नहीं लगाया। सेबी को स्पष्ट तौर पर पता था कि अडानी जैसी कंपनियों ने नियमों का उल्लंघन करने के लिए जटिल ऑफशोर संस्थाओं का इस्तेमाल किया था और सेबी प्रमुख ने भी योजनाओं में भाग लिया था। ”
अरबों डॉलर का अघोषित लेनदेन हुआ
जुलाई 2024 में, सेबी के कारण बताओ नोटिस के जवाब में हमने लिखा था कि कैसे सेबी-एक नियामक जो विशेष रूप से धोखाधड़ी प्रथाओं को रोकने के लिए स्थापित किया गया था-ने गुप्त ऑफशोर सेल सम्राज्य चलाने वाले दलों को सार्थक रूप से आगे बढ़ाने में बहुत कम रूचि दिखाई। फर्जी निवेश संस्थाओं के नेटवर्क के माध्यम से अपने शेयरों को बढ़ावा देते हुए सार्वजनिक कंपनियों के माध्यम से अरबों डॉलर का अघोषित लेनदेन किया गया। ”
गुप्त हिस्सेदारी में शामिल हैं माधबी पूरी बुच
रिपोर्ट में दावा किया गया , ” मौजूदा सेबी चेयरपर्सन माधबी पूरी बुच और उनके पति धवल बुच के पास उसी अस्पष्ट अपतटीय बरमूडा और मॉरीशस फंड में गुप्त हिस्सेदारी थी। इस फंड का इस्तेमाल गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी ने किया था। whistleblower के दस्तावेजों के अनुसार,ऐसा लगता है कि सेबी प्रमुख और उनके पति ने पहली बार 5 जून 2015 को सिंगापूर IPE Plus Fund 1 के साथ अपना अकाउंट खोला था। ”
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी की अमीरी रिवर्स गियर में, दो साल पुरानी स्थिति में पहुंचे
दावा किया गया कि अपतटीय मॉरीशस फंड की स्थापना IIFL के माध्यम से अडानी के एक निदेशक द्वारा की गई थी। यह टैक्स हेवन मॉरीशस में पंजीकृत है। ठीक उसी फंड का उपयोग किया गया जिसका इस्तेमाल विनोद अडानी ने किया था।
माधबी बुच की कंपनी में हिस्सेदारी
अमेरिका की शार्ट सेलर कंपनी ने कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के रिकॉर्ड की एक कॉपी सबूत के तौर पर साझा की। इस रिकॉर्ड के अनुसार, सेबी प्रमुख माधबी बुच के पास एगोरा एडवाइजरी नामक कंसल्टेंसी बिजनेस में 99 फीसदी की हिस्सेदारी है। इस कंपनी के निदेशक धवल बुच हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि 2022 में एगोरा एडवाइजरी ने 261000 डॉलर का रेवेन्यू प्राप्त किया।
हिंडनबर्ग ने यह भी कहा कि अगर सेबी वास्तव में अपतटीय फंड धारकों को ढूंढना चाहता था तो इससे पहले शायद सेबी चेयरपर्सन माधबी बुच को खुद को आईने के सामने खड़ा होकर खुद को देखकर शुरुआत करनी चाहिए थी।
बता दें , हिंडनबर्ग ने 24 फरवरी 2023 को अडानी समूह के शेयरों में हेरफेर का आरोप लगाया था। उस समय विपक्ष ने इसे कॉर्पोरेट जगत का सबसे बड़ा घोटाला बताया था। हिंडनबर्ग की इस रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। गौतम अडाणी की निजी संपत्ति और विश्व रैंकिंग में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली थी। हालांकि, सेबी से हिंडनबर्ग की पहली रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया था।
दावे पर माधबी बुच की सफाई
सेबी की चेयरपर्सन माधबी पूरी बुच और उनके पति धवल बुच ने एक संयुक्त ब्यान में हिंडनबर्ग के दावों को निराधार बताया है। दोनों ने साझा बयान में कहा कि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। बोले कि ये एक चरित्र हनन का प्रयास है। हिंडनबर्ग की पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ें।