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Tokyo 2020: टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने जर्मनी को 5-4 से हराकर रचा इतिहास

ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम ने आखिरकार पदक पक्का कर लिया। 1980 के बाद भारत ने अपना पहला ओलंपिक पदक जीता है। जर्मनी के खिलाफ इस जीत के साथ ही भारतीय हॉकी टीम ने पुराने दिनों की यादों को ताजा करा दिया है। पढ़ें ,भारतीय हॉकी का इतिहास

ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम ने आखिरकार पदक पक्का कर लिया। 1980 के बाद भारत ने अपना पहला ओलंपिक पदक जीता है। जर्मनी के खिलाफ इस जीत के साथ ही भारतीय हॉकी टीम ने पुराने दिनों की यादों को ताजा करा दिया है। पढ़ें ,भारतीय हॉकी का इतिहास

भारत ने रचा इतिहास

टोक्यो ओलंपिक में पुरुषों की टीम ने इतिहास रच दिया है। 1980 के बाद यानी 41 साल बाद भारत ने ओलंपिक मेडल को अपने नाम किया है। कांस्य पदक मुकाबले में भारतीय टीम ने जर्मनी को 5-4 से हराकर दुनिया को बता दिया कि भारत की बाजुओं में बहुत दम है। जो किसी को भी हरा सकती है। 1980 के बाद टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने पहला पदक जीता था। पिछले चार दशक से जारी मेडल के सूखे को खत्म करते हुए पुरुष हॉकी टीम ने करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों पर खरा उतर कर दिखाया। इस जीत ने एक बार फिर से भारतीय फैंस को अपने पुराने दिनों को ताजा करा दी।

पहली बार कब जीता था गोल्ड 

वर्ष 1964 में ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के बाद भारत ने अगले दो ओलंपिक यानी 1968 और 1972 में कांस्य पदक जीते थे। लेकिन 1976 में वह हुआ जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती थी. दरअसल भारत की टीम 1976 ओलंपिक में कोई पदक नहीं जीत पाई थी। और यह पहली बार था कि भारत के हिस्से में हॉकी में ओलंपिक पदक नहीं आया हो। 1980 में भारत ने  इसकी भरपाई कर दी थी।

1980 में पुरुष हॉकी टीम की जीत का बड़ा कारण

इस पर यह कहना गलत नहीं होगा कि मास्को ओलंपिक 1980 में पुरुष हॉकी टीम की जीत का बड़ा कारण कई देशों का खेलों में हिस्सा ना लेना भी था। इस ओलंपिक खेलों में सिर्फ 6 टीमें उतरी थी। इन इसमें 1976 ओलंपिक के गोल्ड मेडल विजेता टीम न्यूजीलैंड, रजत पदक विजेता ऑस्ट्रेलिया और कांस्य पदक विजेता भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान भी शामिल नहीं थे। इन सभी के अलावा यूरोप की पूरी टीमें जैसे जर्मनी, नीदरलैंड, ग्रेट ब्रिटेन ने भी इन खेलों में हिस्सा नहीं लिया था। इन सभी देशों ने अमेरिका के नेतृत्व में खेल का बहिष्कार किया था. इसका जिसका कारण सोवियत संघ का अफगानिस्तान में दखल देना था।

बहुत कम टीमें हुई थी शामिल 

निश्चित तौर पर ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने उस समय तक अपना सबसे बुरा प्रदर्शन किया था। इसलिए टीम की कोशिश थी कि मास्को में इसकी भरपाई करेंगे। उनके पास मौका भी था, क्योंकि कई देश शामिल नहीं हुए थे। भारत ने वासुदेवन भास्करण के नेतृत्व में युवा टीम उतारी थी। जिसके पास प्रतिभा की कोई कमी नहीं थी। भास्करण और वीर बहादुर छेत्री को छोड़कर बाकी टीम के खिलाड़ी अपना पहला ओलंपिक खेल रहे थे। पहले ही मैच में भारत ने तंजानिया को 18-0  हरा दिया था. इस मैच में सुरिंदर सोढी ने 5 गोल किए थे। वही देवेंद्र सिंह ने चार, भास्कर ने चार और जफर इकबाल ने दो गोल किए थे. इसके अलावा मोहम्मद शाहिद और मर्विन और कौशिक ने एक-एक गोल किए थे। इस तरह पूरी टीम में 18 गोल दागे। जबकि विरोधी टीम अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी।

आखिरकार हॉकी टीम ने 41 साल का सूखा खत्म किया 

अब बात करते हैं जर्मनी को हराने की, भारत की 41 साल बाद की जीत के बारे में। टोक्यो में जारी ओलंपिक 2020 खेलों में गुरुवार के दिन भारत ने ओलंपिक में 41 साल का सूखा खत्म करते हुए जर्मनी को 5-4 से हराकर कांस्य पदक जीत लिया है। एक समय भारतीय टीम मुकाबले में 1-3 से पिछड़ रही थी। लेकिन दूसरे क्वार्टर में भारत ने मुकाबले को 3-3 की बराबरी पर ला दिया था। तीसरे क्वार्टर में भारत ने इसे 5-3  में तब्दील करके कुछ हद तक जीत को सुनिश्चित कर लिया था। यहां जर्मनी ने एक गोल के अंतर से कम कर दिया था। लेकिन वह 5-4 से आगे नहीं जा पाई। जर्मनी को मैच के आखिरी मिनट में पेनल्टी कॉर्नर मिला। लेकिन इसे गोलकीपर श्रीजेश ने खारिज कर दिया और इसी के साथ मैच जीत लिया। भारत की झोली में पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक डालकर बड़ा तोहफा दिया है।

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