देश के दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु और उड़ीसा सहित कई कई राज्यों में बिजली संकट के बीच बिजली मंत्रालय ने कहा कि कोयले की आपूर्ति सामान्य के किए जाने का प्रयास जारी है। दिल्ली सहित कई राज्यों में मात्र 1 या 2 दिन के लिए कोयला का स्टॉक बचा है।। इसी बीच कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने मंत्रालय और पीएम मोदी को पत्र लिखकर कोयले की आपूर्ति करने का आवेदन किया है। लेकिन क्या वास्तव में कोयला संकट की वजह से बिजली की आपूर्ति बाधित हो रही है?
बिजली विभागों को खरीदने की तैयारी में अदानी और टाटा सहित कई कंपनियां
भारत के कई राज्यों में चल रहे बिजली संकट को लेकर ‘माय सिटी रिपोर्टर’ ने अपनी रिपोर्ट में छापा है कि बिजली विभाग को खरीदने अडानी। टाटा सहित नौ कंपनियां आगे आई है। इन कंपनियों ने बिड में शामिल होने के लिए आरपीएफ यानी रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल फार्म खरीद रखे हैं। पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में प्रकाशित माई सिटी रिपोर्टर अखबार की रिपोर्ट के अनुसार पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार अब बिजली विभाग को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर चुकी है। दरअसल,यूटी प्रशासन ने बीते दिनों बिजली विभाग की 100 फ़ीसदी हिस्सेदारी बेचने के टेंडर जारी किए हैं।
चंडीगढ़ में प्रकाशित अखबार की रिपोर्ट के अनुसार शहर के बिजली विभाग को निजी हाथों में सौंपने में जुटे प्रशासन ने 10 करोड रुपए बिड सिक्योरिटी रखी है। इच्छुक कंपनियों 31 दिसंबर शाम 4:00 बजे तक आवेदन कर सकती हैं।
रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल तैयार
माय सिटी रिपोर्टर की रिपोर्ट के अनुसार प्रशासन ने बीते दिनों रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल तैयार किया था। जिसके तहत योग्य एजेंसियों से आवेदन मांगे गए हैं। प्रशासन द्वारा जिस भी कंपनी को टेंडर दिया जाएगा उसके पास शहर में बिजली वितरण और रिटेल सप्लाई की जिम्मेदारी होगी। इसके लिए पहले कंपनी फाइनल की जा रही है जो बिजली विभाग की संपत्ति को अधिकृत करेगी। बिजली विभाग के निजीकरण के लिए एक ट्रस्ट बनाई जाएगी। जो सरकारी कर्मचारियों के पेंशन दायित्व को का ध्यान रखेगी। क्योंकि यह कर्मचारी प्राइवेट कंपनियों में शिफ्ट होंगे।
इन प्रमुख कंपनियों ने जताई इच्छा
केंद्र शासित राज्य, पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में प्रकाशित इस अखबार की रिपोर्ट के अनुसार बिजली विभाग को खरीदने के लिए सीईएससी लिमिटेड , टोरंटो पावर लिमिटेड, स्टरलाइट पावर, अदानी ट्रांसमिशन लिमिटेड, टाटा पावर कंपनी लिमिटेड, जीएमआर जेनरेशन असेस्ड लिमिटेड, इंडिया पावर कारपोरेशन लिमिटेड, डीएनएच पावर डिस्ट्रीब्यूशन कारपोरेशन लिमिटेड और एनटीपीसी इलेक्ट्रॉनिक सप्लाई लिमिटेड ने इच्छा जताई है।
अब इस रिपोर्ट को देखने के बाद सवाल यह उठता है कि क्या वाकई में देश में कोयला संकट चल रहा है या मोदी सरकार की बिजली कंपनियों को लेकर कुछ और मनसा है ?