Janmashtami 2025: भगवान श्रीकष्ण के जन्मोत्सव का पर्व जन्माष्टमी हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है। भगवान कृष्ण को विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। उनके भक्त श्रीकृष्ण जन्म को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।
Janmashtami 2025 की तिथि
इस वर्ष जन्माष्टमी का पर्व दो दिनों तक मनाया जाएगा। यह अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के योग पर निर्भर कर रहा है। स्मार्त और वैष्णव समुदाय इसे अलग अलग तरीके से मनाते हैं। स्मार्त समुदाय अष्टमी तिथि को प्राथमिकता देते हैं जबकि वैष्णव समुदाय के लोग रोहिणी नक्षत्र और निशीथ पूजा को महत्व देते हैं।
शुभ मुहूर्त का समय
इस वर्ष की जन्माष्टमी 16 और 17 अगस्त को मनाई जाएगी। 16 अगस्त को मनाई जाने वाली जन्माष्टमी सुबह छह बजे शुरू होगी। 17 अगस्त को मनाई जाने वाली जन्माष्टमी प्रातः 08: 00 बजे शुरू होगी। पहले दिन मनाई जाने वाली जन्माष्टमी का रोहिणी नक्षत्र का समय दोपहर 02:00 शुरू होगा और 17 अगस्त को सुबह चार बजे समाप्ति होगी। रोहिणी नक्षत्र पूजा का समय 16 अगस्त को रात्रि 11:30 बजे से 12:30 बजे तक है। क्योंकि श्रीकृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था।
जन्माष्टमी की कथा
जन्माष्टमी की कथा श्रीकृष्ण के जन्म और उनकी बाल लीलाओं से जुडी हुई है। यह भागवत पुराण और अन्य हिंदू ग्रंथों में वर्णित है।
श्रीकृष्ण की जन्म कथा
मथुरा में राजा कंस का अत्याचार बढ़ रहा था। वह अपनी बहन देवकी और उनके पति वासुदेव से डरता था। क्योंकि आकाशवाणी ने भविष्यवाणी की थी कि देवकी की आठवीं संतान कंस का वध करेगी। कंस ने आकाशवाणी की भविष्यवाणी सुनने के बाद देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल दिया था। कंस ने देवकी के पहले सातों बच्चों को मार डाला।
श्रीकृष्ण का जन्म
भाद्रपद मास की कृष्णपक्ष अष्टमी को मध्य रात्रि को विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने देवकी के गर्भ से जन्म लिया। उस रात भगवान कृष्ण की माया से सभी पहरेदार सो गए और कारागार के ताले स्वतः खुल गए। वासुदेव जन्म के बाद कृष्ण को एक टोकरी में रखकर यमुना नदी पार कर यशोधा के घर पहुंचे। वहां उन्होंने श्रीकृष्ण को यशोधा के पास रखा और उनकी नवजात कन्या को मथुरा ले आए।
कंस ने उस कन्या को मारने की कोशिश की लेकिन वह कन्या नहीं माया रूपी योगमाया थी। जो कंस के हाथों से आकाश में उड़ गई और कंस को चेतावनी दी कि उसका काल, कृष्ण जिंदा है।
कथा का महत्व
Janmashtami 2025: यह कथा सिखाती है कि जब जब अधर्म बढ़ जाता है तो भगवान स्वयं अवतार लेते हैं और धर्म की रक्षा करते हैं। हिंदू पुराणों में ऐसे कई किस्से वर्णित हैं।
जन्माष्टमी का व्रत
Janmashtami 2025: निर्जला व्रत, फलाहारी व्रत और सामान्य व्रत, तीन तरह से व्रत रखे जा सकते हैं। सुबह स्नान के बाद नए वस्त्र धारण करें और भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करें। भगवान श्रीकृष्ण के भजन सुनें और कीर्तन करें। भागवत पुराण का पाठ करें। रात में निशीथ काल में श्रीकृष्ण की पूजा करें। मिश्री, माखन, पेड़े, पंजीरी और फल अर्पित करें। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का उच्चारण करें।