Ganpati Bappa: कैसे हुई थी गणपति बप्पा मोरया जयकारे की शुरूआत

Ganpati Bappa: महाराष्ट्र के पुणे शहर के चिंचवड़ गांव में एक महान तपस्वी साधू मोरया गोसावी हुआ करता था। आस-पास के लोग जानते थे की संत मोरया गोसावी की गणेश जी में बहुत आस्था है।

Ganpati Bappa: मोरया गोसावी की भक्ति से प्रसन्न हुए गणेश

एक बार भगवान गणेश (Lord Ganesha)जी मोरया गोसावी की भक्ति से बहुत प्रसन्न हुए। भगवान गणेश मोरया गोसावी से पूछा कि आपकी क्या इच्छा पूरी की जाए। इस पर साधु मोरया गोसावी ने भगवान गणेश से कहा ,”मैं आपका सच्चा भक्त हूँ। मुझे धन-दौलत ,ऐशो-आराम नहीं चाहिए।बस जब तक ये दुनिया रहे तब तक मेरा नाम आपसे जुड़ा रहे। यही मेरी इच्छा है। ”

गणेश ने मोरया गोसावी को वरदान दिया

भगवान गणेश ने मोरया गोसावी की इच्छा पूरी करते हुए उसे वरदान दिया। तब से जहां भी भगवान गणेश की पूजा होती है ,वहां भक्त बड़े हर्सौल्लास के साथ ‘गणपति बप्पा मोरया ,मंगल मूर्ति मोरया (Ganpati Bappa Morya ) का जयकारा लगाते हैं।

किस्सा 14 वी शताब्दी का है

संत मोरया गोसावी का यह किस्सा 14 वी शताब्दी का है। उनकी चिंचवड़ गांव में समाधि भी है। लोगों की ऐसी आस्था है कि भगवान गणेश का अगर सबसे बड़ा कोई भक्त है तो वो मोरया गोसावी है। संत मोरया गोसावी का नाम निरंतर काल से गणेश जी के साथ जुड़ा हुआ है।

भगवान गणेश की पालकी निकालने की परम्परा भी 500 साल पुरानी है। इसकी शुरुआत 1489 में चिंचवड़ गांव में संत मोरया गोसावी ने की थी। उनके वंशज आज भी इस परम्परा को चला रहे हैं।

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