भारत रत्न से सम्मानित सुरों की मलिका लता मंगेशकर की गिनती अनमोल गायिकाओं में होती है। उनकी आवाज़ का जादू लोगों के सर चढ़कर बोलता है। संगीत की मलिका कहलाई जाने वाली ‘लता ताई’ को कई उपाधियों से नवाजा जा चूका है।
लता के नाम पर पुरस्कार
लता मंगेशकर का नाम सुनते ही हम सभी के कानों में मधुर संगीत शहद घोलने लगती है। लता मंगेशकर विभिन्न भाषाओं 30 हजार से भी अधिक गाने गा चुकी है। लता मंगेशकर ही एकमात्र ऐसी जीवित शख्सियत है जिनके नाम पर पुरस्कार दिए जाते हैं। अब हम आपको बताने जा रहे लता मंगेशकर से जुड़ी कुछ ऐसी बातें, जो आप नहीं जानते होंगे।
सिंगर लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को एक मध्यम वर्गीय मराठी परिवार में हुआ। टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार उनके पिता पंडित दीनानाथ थिएटर एक्टर और सिंगर थे। लता मंगेशकर का पहले हेमा था, बाद में पिता दीनानाथ ने थिएटर के एक नाटक ‘भवबंधन’ की किरदार ‘लतिका’ से प्रभावित होकर उनका उनका नाम लता रखा था।
लता मंगेशकर को एक मंच पर गाने के लिए पहली बार 25 रुपए मिले थे। जिसको लता अपनी पहली कमाई मानती हैं। लता मंगेशकर ने पहली बार 1942 में मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ के लिए गाना गाया था। लता मंगेशकर की बहने उषा मंगेशकर,मीना मंगेशकर , आशा भोसले और भाई हृदय नाथ मंगेशकर ने भी संगीत को करियर चुना।
लेखक यतींद्र मिश्र ने लिखी किताब
यतींद्र मिश्र की किताब ‘लता सुर गाथा’ के अनुसार लता मंगेशकर पूरा दिन बिना कुछ खाए रिकॉर्डिंग करती रहती थी। इस किताब के अनुसार उन दिनों रिकॉर्डिंग स्टूडियो में कैंटीन हुआ करती थी। जिसमें खाने-पीने के नाम पर सिर्फ चाय और बिस्कुट ही हुआ करते थे। लता मंगेशकर एक बार चाय पीने के अलावा पूरा दिन पानी पीकर ही गानों की रिकॉर्डिंग करती रहती थी।