Rakshabandhan 2025; हिंदू कैलेंडर के अनुसार रक्षाबंधन हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह त्यौहार भाई-बहन के प्रेम और विश्वास का प्रतीक है।
रक्षा बंधन के दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई अपनी बहन की रक्षा का प्रण लेता है। आइये जानते हैं साल 2025 के रक्षाबंधन के बारे में जरूरी बातें।
Rakshabandhan 2025: रक्षाबंधन का महत्व
रक्षाबंधन का अर्थ “रक्षा का बंधन” है। यह त्यौहार न केवल सगे भाई बहनों के बीच मनाया जाता है बल्कि फुफेरे, ममेरे, चचेरे भाई बहनों के बीच मनाया जाता है। यह पर्व भारत में प्रेम,विश्वास और एकता का प्रतीक है।
रक्षाबंधन की तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त पूर्णिमा तिथि और भद्रकाल को ध्यान में रख कर तय किया जाता है। क्योंकि भद्रकाल में भाई को राखी बांधना अशुभ माना जाता है।
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 18 अगस्त 2025, दोपहर 3 बजे।
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 19 अगस्त की रात तक
- भद्रकाल: 19 अगस्त को सुबह के समय
- शुभ मुहूर्त: सुबह 09:00 बजे से लेकर दोपहर 02: 00 बजे तक
रक्षाबंधन की रस्में
रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है। राखी को तिलक, अक्षत और कुमकुम के साथ बांधा जाता है। बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती है और आरती उतारती है। भाई अपनी बहन की पैसे और अन्य गिफ्ट देता है। भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है।
रक्षाबंधन का इतिहास और पौराणिक कथाएं
महाभारत कथा के दौरान जब भगवान श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का अपन चक्र से वध किया था तो उनकी ऊँगली से खून निकलने लगा था। द्रौपदी ने अपनी साडी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी ऊँगली पर बांध दिया। बदले में कृष्ण ने द्रौपदी को रक्षक वचन दिया। जो द्रौपदी चीरहरण के समय पूरा हुआ।
Rakshabandhan: एक अन्य पौरणिक कथा के अनुसार, इंद्राणी ने अपने पति इंद्र की रक्षा के लिए रक्षा सूत्र बाँधा था, जिससे इंद्र युद्ध में विजयी हुए।
ऐतिहासिक घटना
एक ऐतिहासिक घटना के अनुसार, मेवाड़ की रानी कर्णावती ने मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजकर रक्षा मांगी थी। जिसे हुमायूं ने स्वीकार करते हुए मेवाड़ की रानी की मदद की।