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जानिए क्या होता है कान का मैल और यह कैसे बनता है

कान का मैल यानी सिरुमन या फिर वैक्स कान में जमा नारंगी, भूरे , लाल , पीले स्लेटी रंग का हो सकता है। यह कान के अंदर मौजूद एक नली से पैदा होता है। कान के अंदर कई ग्रंथियां होती है, जो इस वैक्स का निर्माण करती है।

कान का मैल यानी सिरुमन या फिर वैक्स कान में जमा नारंगी, भूरे , लाल , पीले स्लेटी रंग का हो सकता है। यह कान के अंदर मौजूद एक नली से पैदा होता है। कान के अंदर कई ग्रंथियां होती है, जो इस वैक्स का निर्माण करती है।

ईयर वैक्स के बारे में जरूरी बातें

आमतौर पर लोग माचिस की तिल्ली या किसी दूसरी चीज जैसे ईयर बड से कान खुजलाने रहते हैं। कई लोगों को कान का मैल निकालने की आदत होती है। मगर शायद आपको यह मालूम नहीं है कि जिसे आप मैल समझ रहे हैं, यह दरअसल वह कान के लिए सबसे जरूरी चीज है। इस मैल को इयर वैक्स भी कहते हैं। जिसको मेडिकल भाषा में सिरुमन कहा जाता है और डॉक्टरों की माने तो यह आपके कान के लिए बेहद जरूरी है।

बहुत लाभकारी है कान का मैल

लगभग,कान में पैदा होने वाली मैल रंग बिरंगी होती है। यह आपके कान के अंदर मौजूद एक नली में होती है। कान के अंदर कई ग्रंथियां होती है। जो इस मोम का निर्माण करती हैं । यह मैल आपकी स्किन को चोट से बचाता है।  इसके साथ ही किसी भी तरह के फंगस बैक्टीरिया या पानी से कान की रक्षा करता है।  आपको जानकार यह अजीब लग रहा होगा कि अगर आपके कान का मैल इसे साफ और स्वस्थ रखने में मदद करता है। कान में मौजूद झिल्लियों के बाहरी आवरण को सूखने से रोकता है। इस मैल की वजह से कान की नलियां अपनी सफाई खुद करती है।

खुद बाहर आ जाता है ईयर वैक्स

हालांकि कई बार यह कान की मैल आपके लिए समस्या का कारण बन सकती है। लीडिंग मेडिकल एक्सपर्ट्स के अनुसार जब कोई बोलता, जबड़ा दबाता है या फिर जबबड़ों को घुमाता है तो कान के अंदर का मैल यानी ईयर वैक्स कान के परदे से छेद की तरफ बढ़ता है और सूख कर बाहर निकल जाता है। यही ईयर वैक्स जब ज्यादा मात्रा में बनाने लगता है तो समस्याएं पैदा हो जाती हैं। इसकी वजह से कान में दर्द हो सकता है । कई मामलों में इस मेल की वजह से सुनने की क्षमता तक चली जाती है। कुछ लोग इस वैक्स को साफ करने के लिए रुई के बड्स ऐसी चीजों का सहारा लेते हैं । डॉक्टरों के अनुसार यह सभी चीजें नुकसानदायक हो सकती हैं

सावधानियां बरतें

कॉटन बड्स से कान साफ करना कई बार खतरनाक साबित हो सकता है। कभी-कभी बड्स पर चिपकी हुई रुई का कुछ हिस्सा कान में चिपक जाता है । यह कान में ऐसी जगह पर चिपक ते हैं जहां पर पहुंच मुश्किल होती है। ऐसे में यहां पर बैक्टीरिया या फंगस हो सकती है और आपके कान में संक्रमण तक हो सकता है ।

विशेषज्ञों के अनुसार कान में एयरड्रॉप्स डालना या कैंडल्स से कान साफ करने से परेशानी हो सकती है। उनका मानना है कि यह ड्रॉप्स जैसे , हाइड्रोजन पेरोक्साइड, सोडियम बाई कार्बोनेट या सोडियम क्लोराइड जैसी चीजें काम के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। कुछ लोगों की त्वचा पर इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है। जिसकी जगह पर आप जैतून का तेल या फिर बादाम का तेल प्रयोग कर सकते हैं।

सिरींजिंग पद्धति से कान साफ करें

डॉक्टरों के अनुसार कान की सफाई पानी से भी की जा सकती है। जिसे मेडिकल साइंस में सिरींजिंग कहते हैं। इस तकनीक में कान में का मैल साफ करने के लिए सिरिंज के जरिए काम की नलियों पर पानी की बहारें डाली जाती हैं। हालांकि इस तरीके से ईयर वैक्स साफ हो जाता है। लेकिन कुछ मामलों में यह तकलीफदेह साबित होता है और कान के पर्दे को नुकसान पहुंचा सकता है।

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