जानिए कौन हैं अभिजीत बनर्जी जिन्हें मिला है 2019 का अर्थशास्त्र नोबेल पुरस्कार
अक्टूबर 14, 2019 | by
भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत विनायक बनर्जी अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इस साल तीन शख्सियतों को अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है। अर्थशास्त्र में पुरस्कार विजेताओं का चयन रॉयल स्वीडिश अकादमी करती है।
सिवर्जेस रिक्सबैंक
अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में आर्थिक विज्ञान में 2019 के ‘सिवर्जेस रिक्सबैंक’ पुरस्कार को अभिजीत बनर्जी, ‘एस्तेर डफ्लो’ और ‘माइकल क्रेमर’ को “वैश्विक गरीबी को कम करने के लिए उनके प्रयोगात्मक दृष्टिकोण के लिए सम्मानित किया गया है।” पद्म पुरस्कार 2019:देखें 112 लोगों की पूरी लिस्ट
अर्थशास्त्री अभिजीत विनायक बनर्जी
भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत विनायक बनर्जी अभी मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजीज में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफेसर हैं। Google Doodle: मशहूर वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की 100वीं जयंती पर गूगल ने बनाया डूडल
- अभिजीत विनायक बनर्जी बहुत सारे आर्टिकल और 4 किताबें लिख चुके हैं। उनकी किताब ‘पुअर इकोनॉमिक्स को ‘गोल्डमैन सैस’ बिज़नेस बुक ऑफ़ द ईयर का ख़िताब मिल चूका है।
- अभिजीत विनायक बनर्जी ने कोलकाता यूनिवर्सिटी और जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। 1988 में उन्होंने हॉवर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की।
- अभिजीत विनायक बनर्जी का जन्म कोलकाता में 21 फरवरी 1961 को हुआ था। उनके पिता का नाम दीपक बनर्जी और माता का नाम निर्मला बनर्जी है। मां निर्मला अर्थशास्त्र की प्रोफेसर रह चुकी हैं। पिता दीपक बनर्जी कोलकाता के प्रेसीडेंट कॉलेज के अध्यक्ष रह चुके हैं।
विनायक बनर्जी
Nirmala Banerjee, mother of #AbhijitBanerjee who was awarded #NobelPrize2019 for Economics along with his wife Esther Duflo and USA’s Michael Kremer “for their experimental approach to alleviating global poverty”: I am very happy. It’s a big glory for the entire family. #Kolkata pic.twitter.com/eodrYDe3kZ
— ANI (@ANI) October 14, 2019
BREAKING NEWS:
The 2019 Sveriges Riksbank Prize in Economic Sciences in Memory of Alfred Nobel has been awarded to Abhijit Banerjee, Esther Duflo and Michael Kremer “for their experimental approach to alleviating global poverty.”#NobelPrize pic.twitter.com/SuJfPoRe2N— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 14, 2019
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