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जानिए क्यों मनाया जाता है ओज़ोन दिवस ?

जानिए क्यों मनाया जाता है ओज़ोन दिवस ?

ओज़ोन दिवस हर साल 16 सितंबर को मनाया जाता है। ओज़ोन परत पृथ्वी को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाने का काम करती है।

ओज़ोन दिवस का उद्देश्य ओज़ोन परत को बचाने के लिए लोगों को जागरूक करना है। ओज़ोन एक अणुओं की परत है है जो पृथ्वी से 20 से 40 किलोमीटर की ऊंचाई पर पाई जाती है। ओज़ोन लेयर पृथ्वी को सूर्य की खतरनाक अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से बचाने का काम करती है। इस परत के बिना पृथ्वी वासियों का जीवन संकट में पड़ सकता है। क्योंकि अगर अल्ट्रा वॉयलेट किरणे सीधा धरती पर पड़ती हैं तो यहां इंसान ,जानवर और पेड़-पौधों को भारी नुकसान हो सकता है।

ओज़ोन दिवस 2019

ऐसे में इस परत का संरक्षण बहुत जरूरी है। इस परत को इंसान द्वारा बनाए गए रसायनिक पदार्थों से काफी नुकसान होता है। फैक्ट्रियों निकलने वाला धुंआ और रसायनिक कचरा ओज़ोन लेयर को काफी नुकसान पहुंचाता है। ओज़ोनपरत के बिगड़ने से जलवायु में परिवर्तन हो रहा है। ऐसे में इस संकट को देखते हुए दुनिया भर में ओज़ोन दिवस मनाया जा रहा है। 

वर्ष 1985 में सबसे पहले ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे के वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिक के ऊपर ओज़ोन परत में एक बड़े छेद की खोज की थी। वैज्ञानिकों को पता चला कि इसका जिम्मेदार सीएफसी गैस है। जिसके बाद दुनिया भर में इस गैस को रोकने के लिए वर्ल्ड के सभी देशों सहमति बनी थी। 16 सितंबर 1987 मांट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए थे। जिसके बाद ओज़ोन परत को बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 16 सितंबर 1994 को अंतराष्ट्रीय ओज़ोन दिवस मनाने का ऐलान किया। पहली बार ओज़ोन दिवस 1995 में मनाया गया था। जिसके बाद यह हर साल 16 सितंबर को मनाया जाता है।

ओज़ोन परत धरती का वायुमंडल की एक परत है। ओज़ोन परत हमें सूर्य से आने वाली अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से बचाती है। ओज़ोन परत की खोज 1913 में फ़्रांसके भौतिकविद फैबरी चार्ल्स और हेनरी बुसोन ने की थी। ओज़ोन ऑक्सीजन के 3 परमाणुओं से मिलकर बनने वाली एक गैस है। ये वायुमंडल में 0.02 की बहुत कम मात्रा में पाई जाती है। पृथ्वी से 20 से 40 किलोमीटर की ऊंचाई पर ओज़ोन गैस का 91 प्रतिशत हिस्सा मिल कर एक परत बनाता है। जो हमें सूर्य की खतरनाक किरणों से बचाता है।

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