वकील मनोहर लाल शर्मा ने अग्निपथ भर्ती योजना को अवैध करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट में रद्द करने की याचिका दाखिल की है। केंद्र सरकार ने हाल ही में अग्निपथ योजना के तहत युवाओं को देश की तीनों सेनाओं में भर्ती करने की घोषणा की थी। जिसके बाद बवाल मचा हुआ है।
पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने हाल ही में देश की तीनों सेनाओं ( थलसेना ,नौसेना और वायुसेना ) में अग्निपथ भर्ती योजना के तहत अग्निवीरों की भर्ती करने की घोषणा की है। जिसके तहत 17.6 साल से लेकर 21 वर्ष तक की आयु के लड़के लड़कियां आवेदन कर सकते हैं।
चार साल की नौकरी
अग्निपथ योजना के तहत अभ्यर्थियों को तीनों सेनाओं में चार साल तक रखा जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा सेना में बहाली घोषित अग्निपथ योजना को लेकर देश भर के युवा विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले कई दिनों से हिंसक आंदोलन देखने को मिल रहे हैं। बिहार ,राजस्थान ,हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में इस योजना का विरोध हो रहा है। युवाओं की मांग है कि उन्हें चार साल की नौकरी न देकर स्थाई जॉब दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज
इसी बीच केंद्र सरकार की अग्निपथ भर्ती योजना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता वकील एमएल शर्मा ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने सशस्त्र बलों के लिए सदियों से चलती आ रही चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। जोकि अवैध , संवैधानिक प्रावधानों विपरीत और संसदीय मंजूरी के बिना है।
योजना को रद्द करने की मांग
याचिकाकर्ता वकील मनोहर लाल शर्मा ने अपनी याचिका में कहा ,” संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत और संसद में बिना किसी राजपत्र के केंद्र सरकार ने सदियों पुरानी सेना में चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। देश में अग्निवीर योजना लागु की गई है। इसे 24 जून से शुरू करने की घोषणा की गई है। ” उन्होंने अदालत से रक्षा मंत्रालय द्वारा 14 जून को जारी किए गए प्रेस नोट को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की है।
सेना के प्रवक्ताओं के अनुसार अग्निवीर भर्ती योजना के तहत चयनित युवाओं को पहले साल 4.76 रूपये का पैकेज मिलेगा। जोकि अंतिम चौथे साल में 6.92 लाख रूपये हो जाएगा। सेना के अधिकारीयों का कहना है कि अग्निवीर भर्ती योजना से दसवीं और 12वीं पास होते ही युवाओं को एक बेहतर करियर मिलेगा।