Lok Sabha election 2024 जीतने के लिए बीजेपी ने Google Ads पर खर्च किए 135 करोड़, कांग्रेस भी कोई कम नहीं रही, देखें बाकि दलों की लिस्ट
नवम्बर 18, 2024 | by pillar
Lok Sabha election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी, कांग्रेस समेत राजनीतिक दल पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं। इन दलों ने केवल Google Ads के माध्यम से करोड़ों रुपए खर्च कर दिए हैं। चुनाव जीतने के लिए किस पार्टी ने कितना पैसा खर्च किया है, इस बात की जानकारी सामने आ गई है।
Lok Sabha election 2024
भारत में लोक सभा चुनाव 2024 का दौर जारी है। चुनाव मतदान के पांचवें चरण की तरफ जा चूका है। इस चुनाव को जीतने के लिए सत्ताधारी दल और विपक्षी दल पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं। देश की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी एक बार फिर मोदी सरकार लाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है।
Lok Sabha election 2024 में कांग्रेस का खर्च
वहीं भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस भी अपनी खोई हुई जमीन वापस लेने के लिए खूब प्रचार कर रही है। राजनीतिक दल अपने मतदाताओं को रिझाने के लिए तरह-तरह से प्रचार कर रहे हैं।
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Lok Sabha election 2024 में टॉप में है बीजेपी
देश के राजनीतिक दलों में सत्तारूढ़ दल बीजेपी ने अमेरिकी कंपनी गूगल की मौज कर दी है। बीजेपी की तरफ से गूगल एड्स पर सबसे ज्यादा खर्च किया गया है।
भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीतने के लिए विज्ञापनों पर 135 करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर चुकी है। इस मामले में कांग्रेस पार्टी भी कम नहीं है। कांग्रेस पार्टी ने गूगल पर प्रचार के लिए विज्ञापनों पर 62 करोड़ रुपए से भी अधिक खर्च कर दिए हैं। बीजेपी और कांग्रेस के अलावा क्षेत्रीय दल भी विज्ञापनों पर करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं।
Lok Sabha election 2024 में google ads पर किस पार्टी ने कितना खर्च किया
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 31 मई 2018 से 12 मई 2024 तक, बीजेपी,कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों ने गूगल विज्ञापनों पर 250 करोड़ से अधिक खर्च कर दिए हैं। इस सूचि में जिन दलों ने सबसे ज्यादा खर्च किए हैं, उनके नाम निम्न प्रकार हैं।
- बीजेपी : 135 करोड़
- कांग्रेस 62 करोड़ से अधिक
- डीएमके : 30 करोड़
- YSRCP : 15 करोड़
- BRS: 12 करोड़ से अधिक
हालांकि, इन सभी राजनीतिक दलों के पास ये पैसा कहां से आया है, इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। जानकारों के अनुसार, राजनीतिक दल चुनावी चंदे के रूप में अपने कार्यकर्ताओं और उद्योगपतियों से पैसा लेते हैं। जिसका इस्तेमाल इस तरह के खर्चों के लिए किया जाता है। बता दें, हाल ही में Electoral Bonds का मुद्दा काफी उछला था। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने बैन लगा दिया है।
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