इस साल शारदीय नवरात्रि 29 सितंबर से शुरू होकर 7 अक्टूबर तक है। 8 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा।p
शरद नवरात्रि हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से के है। जिसे दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में नवरात्रि के नौ दिनों को बहुत पवित्र माना जाता है। इस दौरान लोगो देवी के नौ रूपों की पूजा कर आशीर्वाद मांगते हैं। ऐसी मान्यता है कि इन नौ दिनों में सच्चे मन से की गई पूजा करने वालों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
शारदीय नवरात्रि को मुख्य नवरात्रि माना जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह शरद ऋतु के अश्विन शुक्ल पक्ष से शुरू होती है और नौ दिन तक मनाई जाती है।अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार सितंबर-अक्टूबर में आता है।
शारदीय नवरात्रि की तिथियां इस प्रकार हैं।
- 29 सितंबर नवरात्रि का पहला दिन ,प्रतिपदा ,कलश स्थापना ,चंद्र दर्शन ,शैलपुत्री पूजन।
- 30 सितंबर नवरात्रि का दूसरा दिन ,द्वितीय ,ब्रह्मचारिणी पूजन।
- 1 अक्टूबर नवरात्रि का तीसरा दिन, तृतीय ,चंद्रघटा पूजन।
- 2 अक्टूबर नवरात्रि का चौथा दिन ,चतुर्थी ,कुष्मांडा पूजन।
- 3 अक्टूबर नवरात्रि का पांचवा दिन ,पंचमी ,स्कंदमाता पूजन।
- 4 अक्टूबर 2019 नवरात्रि का छठा दिन ,षष्ठी ,सरस्वती पूजन।
- 5 अक्टूबर 2019 नवरात्रि का सातवां दिन ,सप्तमी ,कात्यानी पूजन।
- 6 अक्टूबर 2019 नवरात्रि का आठवां दिन ,अष्टमी ,कालरात्रि पूजन ,कन्या पूजन।
- 7 अक्टूबर 2019 का नौंवा दिन , नवमी , महागौरी पूजन , कन्या पूजन ,नवमी हवन।
- 8 अक्टूबर 2019 ,दशहरा।
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। यह साल में दो बार आती है। जिसे चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि साल के इन्ही नौ दिनों में देवी मां अपने मायके आती है। ऐसे में इन नौ दिनों को दुर्गा उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
उत्तर भारत में देवी मां के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। भक्त पुरे नौ दिन तक व्रत रखते हैं। पहले दिन कलश की स्थापना की जाती है फिर आठवें और नौंवें दिन कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है।
अगर आप नवरात्रि का व्रत रखना चाहते हैं तो इन नियमों का पालन करना जरूरी है।
- नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना कर नौ दिन तक व्रत लेने का संकल्प लें।
- पूरी श्रद्धा से देवी मां की पूजा करें।
- शाम के समय मां की आरती उतारें।
- सभी को प्रसाद बांटे और खुद भी ग्रहण करें।
- अन्न की जगह फल ग्रहण करें।
- अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं को भोजन करा कर उन्हें उपहार दें।