ज्यादातर लोग अपने मोबाइल फोन लैपटॉप ब्लूटूथ इयरफोन स्पीकर या अन्य गैजेट्स को चार्जर के जरिए चार्ज करते हैं। इन्हे चार्जर के जरिए बिजली से चार्ज करते हैं। कुछ लोग बैटरी वाले चार्जर या सोलर चार्जर से भी अपने मोबाइल और लैपटॉप को चार्ज करते हैं। लेकिन अब आपके मोबाइल और लैपटॉप हवा से चार्ज हो जाएंगे
जापान के वैज्ञानिकों के अनुसार एक वायरलेस चार्जिंग में तैयार किया गया है। जिस रूम में हवा से ही आपके गैजेट चार्ज हो जाएंगे। आपको अपने मोबाइल और लैपटॉप आदि को चार्ज करने के लिए चार्जर प्लग और केबल आदि की जरूरत नहीं होगी। जापान की राजधानी टोक्यो की यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिकों ने 10X10 फीट का एक वायरलेस चार्जिंग रूम तैयार किया है। जो 50 वाट तक पावर देता है।
News.umich.edu की रिपोर्ट के अनुसार जापान के वैज्ञानिकों ने एक चार्जिंग रूम तैयार किया है। जिससे रूम में हवा से ही आपके मोबाइल लैपटॉप ईयर फोन आदि चार्ज हो जाएंगे। आपको अपने लैपटॉप और मोबाइल फोन को चार्ज करने के लिए किसी प्लग वगैरह की जरूरत नहीं होगी। वेबसाइट के अनुसार वैज्ञानिक इस टेस्टिंग को पूरा कर चुके हैं। नए वायरलेस रूम के लिए एलुमिनियम टेस्ट रूम को तैयार किया गया था। जिसमें पावर लाइन मोबाइल फोन आदि को कमरे में अलग-अलग जगहों पर रखकर चार्ज किया गया।
यह नया चार्जिंग रूम एक तरह से वायरलेस चार्जिंग पैड की तरह काम करेगा।आपने देखा होगा कि चार्ज करने के लिए नीचे चार्जिंग पैड की जरूरत पड़ती है। लेकिन इस नई टेक्निक में खास बात यह है कि इसमें चार्जिंग पैड की कोई जरूरत नहीं होती है।
हालांकि यह तकनीक भविष्य में बहुत फायदेमंद हो सकती है, लेकिन इसके कारण कई लोगों की जान भी जा सकती है। यह बिल्कुल एक नई तरह की तकनीक है जिससे इलेक्ट्रिक फील्ड के बिना ही मैग्नेटिक फील्ड जनरेट किया जा सकता है। इलेक्ट्रिक फील्ड जनरेट होने से भले ही इंसानों को झटके लग सकते हैं। लेकिन इसमें ऐसा नहीं होगा। केवल मैग्नेटिक फील्ड के कारण रूम में मौजूद किसी व्यक्ति या जानवर को नुकसान पहुंचने का खतरा कम होगा ।
एक शोधकर्ता के मुताबिक वायरलेस चार्जिंग में मैग्नेट कॉइल का प्रयोग किया जाता है। बताया जाता है कि यह दिल के मरीजों में लगाए गए पेसमेकर और दूसरी डिवाइस को स्विच ऑफ कर सकता है। जिससे मरीज की जान भी जा सकती है। यह इसीलिए है वह चार्जिंग का नया तकनीक हार्ट पेशेंट्स, जिनके पेसमेकर लगे हुए हैं के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।
हालांकि इस रिसर्च से जुड़े एक शोधकर्ता एलेन्सन सैंपल के अनुसार नई तकनीक के साथ ऐसा होने का खतरा ना के बराबर है। क्योंकि वायरलेस चार्जिंग रूम में मैग्नेट का इस्तेमाल स्थाई तौर पर नहीं किया जा रहा है। शोधकर्ता एलेन्सन के अनुसार इस नई तकनीक में लो फ्रिकवेंसी वाली मैग्नेटिक फील्ड तैयार की जाएगी। इस तकनीक से डिवाइस में पॉवर ट्रांसफर होगा।
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