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SBI ने सुप्रीम कोर्ट से चुनावी बॉन्ड डेटा की समय सीमा बढ़ाने का आग्रह किया

SBI bond: स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड जानकारी देने की समय सीमा बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनावी बॉन्ड को लेकर अपना फैसला सुनाया था। सर्वोच्च अदालत ने एसबीआई को चुनावी बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को देने के लिए कहा था।

SBI bond: इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

भारत की सर्वोच्च अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसले में चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द किया था। शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को सभी प्रासंगिक जानकारी प्रस्तुत करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक के लिए समय सीमा 6 मार्च 2024 निर्धारित की थी। हालांकि कार्य की जटिलता का हवाला देते हुए बैंक ने अदालत के निर्देशों का पालन करने के लिए अतिरिक्त समय माँगा है।

चुनावी बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 के अंतरिम आदेश से लेकर 15 फरवरी 2024 के फैसले की तारीख तक इलेक्टोरल बॉन्ड द्वारा दानकर्ताओं की जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया था। इस अवधि के भीतर बड़ी संख्या में इलेक्टोरल बॉन्ड- खासतौर पर, 22217- इसका उपयोग विभिन्न राजनीतिक दलों को दान देने के लिए किया गया था।

बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसे रद्द कर दिया था। सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि यह अभिव्यक्ति स्वतंत्रता और संविधान के तहत सुचना के अधिकार का उल्लंघन है।

भारत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने चुनावी बॉन्ड योजना की क़ानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सर्वसंमति से फैसला सुनाया था। चुनावी बॉन्ड द्वारा राजनीतिक दलों को गुमनाम फंडिंग की अनुमति थी। आदेश दिया गया था कि जो चुनावी बॉन्ड, 15 दिनों की वैधता अवधि के भीतर हैं, राजनीतिक दल या खरीदार जारीकर्ता बैंक को वापस कर दिए जाएंगे और बैंक  खरीदार के खाते में राशि वापस कर देगा।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को रद्द किया

सुप्रीम कोर्ट ने अभी बैंकों को चुनावी बॉन्ड जारी करने से रोकने के लिए आदेश दिया था। अदालत ने भारतीय स्टेट बैंक को 12 अप्रैल 2019 से लेकर अब तक खरीदे गए चुनावी बॉन्ड्स को विवरण चुनाव आयोग को देने के लिए कहा था।

इन दलों को मिला इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए सबसे ज्यादा चंदा

इस अवधि के दौरान, कुल 12000 करोड़ रुपए में से बीजेपी को 6556.11 करोड़ रुपए का चंदा मिला। कांग्रेस पार्टी को 1123.3 करोड़ रुपए मिले। जबकि इसी समय सीमा के दौरान क्षेत्रीय दल तृणमूल कांग्रेस पार्टी के खजाने में 1092.98 करोड़ रुपए चुनावी बॉन्ड के रूप में जमा हुए।

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