सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार के दिन देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत करने वाली याचीका पर दखल देने से इंकार कर दिया है। संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन करने वाली रिट याचिका पर केंद्र सरकार को निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया शरद अरविंद बोबडे ,जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस हरिकेश राय की पीठ ने माना कि ऐसे नाम बदलने के लिए संविधान में संशोधन करने के लिए कोर्ट कोई निर्देश पारित नहीं कर सकता।
लाइव लॉ हिंदी की वेबसाइट के अनुसार, भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने कहा ,” हम ऐसा नहीं कर सकते। भारत के संविधान में भारत को भारत ही कहा जाता है। ”
याचिका दाखिल करने वाले नमाह के वकील ने कहा ,” इंडिया नाम प्रस्तुत किया गया ,जो ग्रीक शब्द इंडिका से उत्पन्न हुआ है। हिस्ट्री भारत माता की जय के उदाहरणों से भरी हुई है। ”
जब सुप्रीम कोर्ट ने सकारात्मक दिशा निर्देश पारित करने से इंकार किया तो वकील अश्विनी वैश्य ने पीठ से आग्रह किया कि इस तरह के उद्देश्य के लिए केंद्र सरकार को प्रतिनिधित्व देने की अनुमति दी जाए।
जिसके बाद न्यायालय ने याचिका पर प्रतिनिधित्व करने के लिए उपयुक्त मंत्रालय को निर्देश देते हुए याचिका का निपटारा किया। इससे पहले साल 2016 में अदालत ने ऐसी ही एक याचिका को ख़ारिज कर दिया था।
दरअसल याचिकाकर्ता ने कहा था की देश के मूल और प्रमाणिक नाम भारत को मान्यता दी जानी चाहिए। उन्होंने देश में राष्ट्रीय भावना पैदा करने के हक में अंग्रेजी नाम हटाने की अपील की थी।
याचिकाकर्ता ने कहा ,” इंडिया नाम को हटाने में भारत संघ की ओर से विफलता हुई है। जो गुलामी का प्रतीक है। ” ये भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट ने महिला अधिकारियों के नौसेना में स्थाई कमीशन का दिया आदेश