La Nina वैश्विक मौसम के पैटर्न को प्रभावित करती है। L Nino गर्म चरण होता है। जबकि ENSO न्यूट्रल स्थिति में मौसम सामान्य रहता है। आइए जानते हैं La Nino का प्रभाव और अन्य जानकारी।
What is La Nina
ला लीना पृथ्वी के मौसम चक्र का एक अहम हिस्सा होता है। जो ENSO (एल नीनो सदर्न ओसिलेशन ) का ठंडा चरण कहलाता है। सरल शब्दों में यह प्रशांत महासागर के मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में समुद्र की सतह के तापमान के औसत से म होने की स्थिति है। जब यह तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक ठंडा हो जाता है और यह स्थिति कम से कम पांच महीने तक बनी रहती है तो इसे आधिकारिक रूप से La Nina कहा जाता है।
कब होती है यह घटना
यह घटना हर दो से सात साल में हो सकती है। यह वैश्विक मौसम पैटर्न को प्रभावित करती है। La Nina एक स्पेनिश शब्द है, जिसका हिंदी में अर्थ “छोटी लड़की” होता है। जबकि L Nino का मतलब छोटा लड़का होता है।
मौसम को प्रभावित करने में la nina का रोल
ला नीना मौसम को कई तरह से प्रभावित करती है। यह खासकर सर्दियों में ज्यादा असरकारक होती है। यह वैश्विक स्तर पर वायुमंडल दबाव, Jet Stream और बारिश के पैटर्न को बदल देती है। इसके मुख्य कारण और भूमिका निम्नलिखित प्रकार है।
- समुद्री तापमान पर प्रभाव : प्रशांत महासागर के पूर्वी भाग में ठंडा पानी ऊपर आ जाता है। जिससे हवाएं मजबूत होती हैं। इससे विश्व की हवा के प्रभाव में बदलाव आता है।
- ला नीना का सर्दी पर असर : ला नीना जेट स्ट्रीम को दक्षिण की तरफ धकेल देता है। जिससे आर्कटिक की ठंडी हवा दक्षिण की और फ़ैल जाती है। इससे अमेरिका, कनाडा और यूरोप में कठोर सर्दियां पड़ती हैं।
- भारत में ला नीना पश्चिमी विक्षोभ को मजबूत बनाता है। ये विक्षोभ भूमध्य सागर से आटे हैं और हिमालय बर्फबारी बढ़ाते हैं। जिससे उत्तरी भारत के पंजाब ,हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों में कोहरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही इन राज्यों में ठंडी लहरें आती हैं। इससे न्यूनतम तापमान सामान्य से 2 से 4 डिग्री सेल्सियस कम हो जाता है।
La Nina के अन्य प्रभाव
मानसून में कमी आने के कारण वर्षा कम होती है, तूफान आ सकते हैं। इसके अलावा सूखा और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं आ सकती हैं। संक्षेप में ला नीना ठंड को बढ़ावा देती है। यह ठंडी हवाओं को दक्षिण की तरफ मोड़ देती है। जिससे सर्दियां लंबी और तीव्र हो जाती हैं।
NOAA का अनुमान
अमेरिकी जलवायु पूर्वानुमान केंद्र ने 11 सितंबर २०२५को अपनी रिपोर्ट में में ला नीना वॉच जारी की है। इसके अनुसार, अक्टूबर से दिसंबर 2025 तक ला नीना के विकसित होने की 71 प्रतिशत संभावना है। दिसंबर 2025 और जनवरी 2026 में 54 प्रतिशत रहने का पूर्व अनुमान है। अगस्त 2025 में ENSO न्यूट्रल था, लेकिन ठंडे तापमान के संकेत मिल रहे हैं।
भारत पर ला नीना का प्रभाव
विशेषज्ञों के अनुसार, यह La Nina कमजोर लेकिन प्रभावी होगा। जो उत्तर भारत में असमान्य रूप से ठंड ला सकता है। दिल्ली एनसीआर, गुरुग्राम और नोएडा में ठंडी लहरें, कोहरे और हिमालय के क्षेत्रों में भारी बर्फबारी की चेतावनी है।
पिछली बार ला नीना का प्रभाव 2020-21 में देखने को मिला था। उस वर्ष उतर भारत में रिकॉर्ड ठंड पड़ी थी। इस बार भी वैसा ही पैटर्न हो सकता है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस बार सर्दी दिसंबर से 2025 से शुरू होकर मार्च 2026 तक पड़ेगी। जिससे सांस की बिमारी और सर्दी में होने वाली बीमारियां बढ़ेंगी।
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जरूरी बातें
हालांकि, यह मौसम का पूर्व अनुमान है। क्योंकि ENSO चक्र गतिशील है। मौसम की ताजा जानकारी के लिए NOAA या IMD की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। इन वेबसाइट पर मौसम के पूर्व अनुमान सटीक बताए जाते हैं।