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क्या होता है आतंकी स्लीपर सेल और यह कैसे करते हैं काम

आप सब ने अक्षय कुमार की बॉलीवुड मूवी होलीडे जरूर देखी होगी। जिसमें स्लीपर सेल का बार बार नाम लिया गया है। ये स्लीपर सेल क्या होते हैं और आतंकवादियों के लिए कैसे काम करते हैं। आज हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं ।

आप सब ने अक्षय कुमार की बॉलीवुड मूवी होलीडे जरूर देखी होगी। जिसमें स्लीपर सेल का बार बार नाम लिया गया है। ये स्लीपर सेल क्या होते हैं और आतंकवादियों के लिए कैसे काम करते हैं। आज हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं ।

लश्कर ई तैय्यबा, जैश-ए-मोहम्मद, इंडियन मुजाहिदीन जैसे कई आतंकी संगठन स्लीपर सेल भर्ती करते हैं। आतंकी संगठन स्लीपर सेल को वारदातों को अंजाम देने का इस्तेमाल करने के लिए भर्ती करते हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) जैसी भारतीय सुरक्षा एजेंसियां कड़ी मेहनत करके इन स्लीपर सेल को खोजती  रहती है और बाद में पकड़े जाने पर इन पर कड़ी कार्रवाई होती है। लेकिन इन्हें पकड़ना इतना आसान काम नहीं होता है।

आतंकियों का सबसे महत्वपूर्ण दस्ता होता स्लीपर सेल 

स्लीपर सेल आतंकवादियों को दस्ता होता है जो आम जनता के बीच रहता है और आतंकियों के टॉप कमांडरों से आदेश आने के बाद ही एक्टिव होता है। स्लीपर सेल में भर्ती आतंकियों को पकड़ना काफी कठिन काम होता है। जिसका कारण यह है कि यह आम लोगों के बीच में रहते हैं और इनके बारे में कोई पुख्ता जानकारी भी नहीं होती है। ये लोग आम आदमी की तरह ही जिंदगी जी रहे होते हैं। लेकिन आदेश मिलने के बाद यह हरकत में आते हैं और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं।

बहुत मुश्किल होता है इन्हे पहचानना

स्लीपर सेल में भर्ती आतंकी किसी छात्र, नौकरी करने वाले,मजदूर का काम करने वाले, रेहड़ी पटरी लगाने वाले या किसी दुकान पर काम करने वाले के रूप में भी हो सकते हैं। स्लीपर सेल में भर्ती आतंकी आम लोगों के बीच रहते हैं। इनको किसी आतंकी घटना के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी जाती है।

इन से समय आने पर काम लिया जाता है। यह लोग जासूसी कर सूचनाएं एकत्रित करते हैं और फिर अपने आकाओं को भेजते हैं। यह कभी-कभी साल में एकाध बार ही एक्टिवेट होते हैं। यह लोग काफी लंबे समय तक आदेश मिलने के इंतजार में रहते हैं और आदेश मिलते ही एक्टिवेट हो जाते हैं ।

स्लीपर सेल का इस्तेमाल कई आतंकी गतिविधियों में लिया जाता है किया जाता है। प्राथमिक स्तर पर तो इनका काम सूचनाएं इकट्ठा करना होता है। यह अपने संगठन के लोगों को शहर या गांव में रहने के लिए सुरक्षित जगहों की तलाश करते हैं। यह आतंकी संगठनों की बैठक के लिए भी जगह का प्रबंध करते हैं। हमलों में मदद करना हम देख लिए शहर में प्रवेश करना हो संगठन के लिए नई भर्तियों में सहायता करना इनका काम होता है।

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