राजस्थान के जालौर जिले के सांचौर इलाके में 16 घंटे से फंसे हुए 95 फिट के गहरे बोरवेल में एक मासूम बच्चे की जान कड़ी मशक्कत के बाद बचा ली गई है। इस बच्चे का नाम अनिल है, जिसकी उम्र 4 साल है।
एक दशक पहले हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिला के एक गांव में प्रिंस नाम के बच्चा बोरवेल के गड्ढे में खेलते हुए गिर गया था। जिसके बाद उसे आर्मी की इंजीनियरिंग कोर ने बचा लिया था। अब ऐसा ही एक मामला राजस्थान के जालोर जिले से सामने आया है।
जालौर जिले के सांचौर इलाके में 16 घंटे से 95 फीट गहरे बोरवेल के गड्ढे में फंसे हुए एक मासूम बच्चे की जान बचा ली गई है। 4 साल के इस बच्चे का नाम अनिल है। जो अब पूरी तरह ठीक है। यह बच्चा गुरुवार सुबह 10:00 बजे के करीब 95 फीट गहरे बोरवेल में खेलते समय गिर गया था।
बच्चे के बोरवेल में गिरने की सूचना मिलते ही एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और बच्चे को बाहर निकालने के लिए कड़ी मेहनत की। कई घंटों तक लगातार मेहनत करने के बाद आखिरकार देसी जुगाड़ से ही बच्चे की जान बच पाई। माधाराम सुथार नाम के स्थानीय व्यक्ति ने देसी जुगाड़ से मात्र 25 मिनट में बच्चे की जान बचा ली है।
मासूम बच्चे को बचाने के लिए एनडीआरएफ की 3 टीमें इस ऑपरेशन में कई घंटों तक लगी रही। लेकिन बच्चे को बाहर निकालने में कामयाब नहीं हो पाई। ऐसे में परिजनों के साथ साथ प्रशासन के लोग भी काफी परेशान थे। 16 घंटे बाद गुरुवार रात्रि 2:24 पर बोरवेल में फंसे बच्चे को बाहर निकाल लिया गया। यहां देसी जुगाड़ काम आया है। भीनमाल गांव के निवासी माधाराम सुथार का देसी जुगाड़ बच्चे को बोरवेल से बाहर निकालने में काम आया
जब एनडीआरएफ की टीमें अपने प्रयास में विफल रही तो बाद में माधाराम सुथार ने प्रशासन से एक मौका देने की विनती की। उनका बनाया हुआ देसी जुगाड़ भी बहुत ही हैरान कर देने वाला है ।जिसने बच्ची को बचाने के लिए जादू जैसा कारनामा कर दिखाया है।
दरअसल बच्चे को बाहर निकालने के लिए पानी की आपूर्ति करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पीवीसी पाइप के 90-90 फीट के तीन पीस मंगवाए गए। उसने तीनों पाइप के आगे एक टी को जोड़ा। इसके बीच में एक रस्सी बांधी साथ ही इसके साथ कैमरे को भी जोड़ दिया।
95 फीट गहरे गड्ढे में 80 फीट तक जुगाड़ को पहुंचाने के बाद टी को बच्चे के सिर के ऊपर से होते हुए पेट तक पहुंचाया गया। सीने तक पहुंचते ही रस्सी को खींचा गया। इससे तीनों पाइप के बीच में बच्चा फस गया। इसके बाद रस्सी को खींचने का काम शुरू हुआ। रस्सी के साथ तीनों पाइप भी बाहर आते रहे। थोड़ी ही देर में बच्चा माधाराम की गोद में था। इस बचाव अभियान में मात्र 25 मिनट का समय लगा। माधाराम सुथार के इस देसी जुगाड़ की लोग खूब तारीफ कर रहे हैं।
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