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भारतीय नौसेना के वे आठ पूर्व अधिकारी कौन हैं जिन्हे कतर में मौत की सजा सुनाई गई

भारतीय नौसेना के वे आठ पूर्व अधिकारी कौन हैं जिन्हे क़तर में मौत की सजा सुनाई गई

इजराइल के लिए जासूसी करने के आरोप में भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारीयों को कतर में मौत की सजा सुनाई गई है। आइये जानें कि मौत की सजा पाने वाले ये आठ भारतीय नागरिक कौन हैं ?

कभी देश के लिए प्रमुख भारतीय युद्धपोतों की कमान संभालने वाले पूर्व आठ नौसेना अधिकारी कतर में डहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम कर रहे थे। ये एक निजी फर्म है जो क़तर के सशस्त्र बलों को ट्रेनिंग और संबंधित सेवाएं देती है। सूत्रों के अनुसार, उनमे से कुछ अधिक संवेदनशील परियोजना पर काम कर रहे थे। जिसमें , इतालवी प्रौद्योगिकी आधारित स्टील्थ विशेषताओं वाली बौनी पनडुब्बियां हैं।

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कतर में गिरफ्तार किए गए ये आठ लोग पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारी हैं। उनको अगस्त 2022 में कतर की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा हिरासत में लिया गया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि उन्हें पिछली बार उन्हें  अनिर्दिष्ट आरोपों पर हिरासत में लिया गया था।

क़तर में गिरफ्तार आठ लोगों के नाम

जिन पूर्व नौसेना अधिकारीयों को कतर में फांसी की सजा सुनाई है। वे आठों लोग भारतीय नौसेना में बड़े पदों पर रह चुके हैं। उनके नाम निम्न प्रकार हैं।

  1. कैप्टन नवतेज सिंह गिल
  2. कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा
  3. कैप्टन सौरभ वशिष्ट
  4. कमांडर अमित नागपाल
  5. कमांडर पुर्णेन्दु तिवारी
  6. कमांडर सुगुनाकर पगाला
  7. कमांडर संजीव गुप्ता
  8. नाविक राजेश

बता दें, नौसेना के 8 दिग्गज अधिकारीयों की जमानत याचिकाएं कतर अधिकारीयों द्वारा कई बार खारिज कर दी गई। शुरू में ही कतर की अदालत ने आठों के लिए मौत की सजा तय की थी।

भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया

कतर अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत सरकार ने इसे गहरा झटका बताया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि मामले को लेकर सभी संभावित क़ानूनी कार्रवाइयों पर विचार किया जा रहा है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा,” मौत की सजा के फैसले से हम सभी गहरे सदमें में हैं। हम विस्तृत फैसले का इंतजार कर रहे हैं। हम आठों के परिवारों के सदस्यों और क़ानूनी टीम के साथ संपर्क में हैं। हम सभी क़ानूनी विकल्पों की तलाश कर रहे हैं। हम इस मामले को उच्च महत्व देते हुए इस पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। हम सभी कांसुलर और क़ानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। हम इस फैसले को कतर के अधिकारीयों के सामने उठाएंगे। “

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