जूलियन असांजे को अमेरिका प्रत्यर्पित नहीं किया जाएगा
अमेरिका के गोपनीय दस्तावेजों और कूटनीतिक संदेशों को सार्वजनिक करने के आरोप में अमेरिका असांजे के प्रत्यर्पण की मांग करता रहा है। जिसके खिलाफ सुनवाई चल रही थी। असांजे को इस फैसले पहले स्वीडन में दुष्कर्म मामलों के केस में भी राहत मिल चुकी है। इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए असांजे ने कई साल ब्रिटेन के इक्वाडोर के दूतावास में बिताए ।
सेंट्रल लंदन की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट जज विनीता बैरियेस्टर ने यह बहुत प्रतिक्षित फैसला सुनाया है। जज ने कहा कि आशंका है कि जूलियन असांजे आत्महत्या जैसे खतरनाक कदम उठा सकते हैं और प्रत्यर्पण करना उनके मानसिक उत्पीड़न जैसा होगा।
महिला जज ने कहा असांजे को अमेरिका में हिरासत में लिया जाता है। उसे कैदी के तौर पर बेहद कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ सकता है। उसके सामाजिक संपर्क खत्म हो जाएंगे और वह बाहर किसी से संपर्क नहीं कर पाएगा।
यह मामला लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में रहा है। अमेरिकी सरकार खुफिया दस्तावेजों की जासूसी के आरोप में असांजे का प्रत्यर्पण चाहती थी। इस मामले में उन्हें मौत की सजा तक हो सकती थी।
बता दें कि अमरीकी सरकार के खुफिया संदेशों को लीक होने से दुनिया भर में तहलका मच गया था। साथ ही अमेरिकी सरकार की किरकिरी भी हुई थी।
असांजे को 2010 में एक मामले में स्वीडन के अनुरोध पर लंदन में गिरफ्तार किया गया था। स्वीडन सरकार दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न को लेकर असांजे से पूछताछ करना चाहती थी। हालांकि स्वीडन प्रत्यर्पित किए जाने से बचने के लिए असांजे 2012 में लंदन में इक्वाडोर के दूतावास में शरण ली थी। अप्रैल 2019 में दूतावास से बाहर आने पर ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें जमानत लेकर बाहर भागने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था।