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DRDO ने स्वदेशी कार्बाइन गन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया

डीआरडीओ द्वारा डिजाइन की गई 5.56×30 MM कार्बाइन गन जीएसक्यूआर के सभी मापदंडो में पर खरा उतरी। कार्बाइन का फाइनल परीक्षण 7 दिसंबर 2020 को किया गया।

5.56×30 MM स्वदेशी कार्बाइन गन

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन  द्वारा 5.56×30 मिमी, सुरक्षा के लिए डिज़ाइन की गई कार्बाइन का सफलतापूर्वक परीक्षण 7 दिसंबर 2020 को किया। गन, सभी जीएसक्यूआर मापदंडों को पूरा करते हुए उपयोगकर्ता परीक्षणों के अंतिम चरण से गुजर चुकी है। कार्बाइन के सफल परीक्षण के बाद अब इसका सेवाओं में शामिल होने के लिए रास्ता साफ हो गया है।

यह उपयोगकर्ता परीक्षणों की एक श्रृंखला में परीक्षणों का अंतिम चरण था जो गर्मियों में अत्यधिक तापमान की स्थिति और सर्दियों में उच्च ऊंचाई पर किया गया है। डीजीक्यूए द्वारा आयोजित गुणवत्ता परीक्षणों के अलावा ‘जेवीपीसी’ ने विश्वसनीयता और सटीकता के कड़े प्रदर्शन मानदंडों को सफलतापूर्वक पूरा किया है।

ऑटोमैटिक हथियार की खूबियां

JVPC एक गैस ऑपरेटेड सेमी बुल-प्यूप ऑटोमैटिक हथियार है, जिसमें 700 आरपीएम दर से अधिक फायर करने की क्षमता होती है। कार्बाइन की प्रभावी रेंज 100 मीटर से अधिक है और उच्च विश्वसनीयता, कम पुनरावृत्ति, फोल्डिंग बट, एर्गोनोमिक डिजाइन, एकल हाथ से फायरिंग क्षमता जैसी प्रमुख विशेषताओं के साथ लगभग 3.0 किलोग्राम वजन की होती है। ये विशेषताएं इसे बहुत शक्तिशाली बनाती हैं। यह सुरक्षा एजेंसियों के काउंटर इंसर्जेंसी / काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन में इस्तेमाल करने लिए पुख्ता हथियार है।

पुणे में किया गया डिजाइन

डीआरडीओ की पुणे स्थित प्रयोगशाला, आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE) द्वारा कार्बाइन को भारतीय सेना के GSQR के अनुसार डिजाइन किया गया है। हथियार का निर्माण स्माल आर्म्स फैक्ट्री, कानपुर में किया गया है, जबकि गोला बारूद का निर्माण ‘किरकी’ पुणे में किया गया।

हथियार पहले ही ‘एमएचए’ परीक्षण पारित कर चुका है और सीएपीएफ और विभिन्न राज्य पुलिस संगठनों द्वारा खरीदने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में डेफएक्सपो- 2020 के दौरान 5.56 x 30 मिमी ‘जेवीपीसी’ का अनावरण किया था।

डीआरडीओ अध्यक्ष डॉक्टर सतेश रेड्डी ने दी बधाई

सचिव डीडी आरएंडडी और अध्यक्ष डीआरडीओ डॉक्टर सतेश रेड्डी ने डीआरडीओ टीम, उपयोगकर्ता टीम और विनिर्माण में शामिल सभी सार्वजनिक और निजी एजेंसियों को इस मील के पत्थर तक सफलतापूर्वक पहुंचने के लिए बधाई दी है।

( न्यूज़ इनपुट, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन )

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