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पेट खाली और योगा करवाया जा रहा सचमुच देश बदल रहा है: जस्टिस काटजू

जून 21, 2021 | by

PSX_20230803_161548Doing yoga on an empty stomach is really changing the country: Justice Katju

आज पूरा देश इंटरनेशनल योगा डे सेलिब्रेट कर रहा है। इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।

अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस के अवसर पर मार्कंडेय काटजू ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक के बाद एक कई ट्वीट किए ।  जिनमें नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है।

जस्टिस काटजू ने अपने ट्वीट में कहा पेट खाली और योगा करवाया जा रहा है। जेब खाली और खाता खुलवाया जा रहा है। रहने को घर नहीं और शौचालय बनवाया जा रहा है। सचमुच देश बदल रहा है।”

https://twitter.com/mkatju/status/1406859337071435784

जस्टिस काटजू ने इसके बाद एक और ट्वीट किया जिसमें उन्होंने कोरोनावायरस के दौर में बढ़ती हुई महंगाई को लेकर मोदी सरकार पर एक कार्टून के जरिए तंज कसा है। मार्कंडेय काटजू ने एक कार्टून शेयर किया जिसमें लिखा है, आंखें बंद कीजिए, मन में सकारात्मक विचार लाना है , टमाटर , दाल , चीनी सब्जियों के भाव के बारे मैं बिल्कुल नहीं सोचना है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस।”

https://twitter.com/mkatju/status/1406859545477976070

इससे पहले जस्टिस काटजू ने कहा कि मैं अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को नौटंकी और नाटक मानता हूं। पचास फ़ीसदी  भारतीय बच्चे कुपोषित हैं। और बेरोजगारी भी रिकॉर्ड पर है। उन्होंने कहा,” खाद्य पदार्थों, गैस सिलेंडर, ईंधन आदि दाम बेतहाशा बढ़ रहे हैं ।चार लाख भारतीय किसानों ने पिछले 25 वर्षों से आत्महत्या की है । और जनता के उचित स्वास्थ्य सेवा लगभग नगण्य हैं। ऐसे में लोगों को योगा करने के लिए कहना उतना ही बेतुका और बेहूदा है जितना भी क्वीन मैरी एंटोइनेट का उन लोगों कहना, ‘जिनके पास रोटी नहीं थी से कहना है कि केक खाएं।’

उन्होंने कहा कि भारत के लोग योग नहीं बल्कि भोजन ,नौकरी ,आश्रय उचित स्वास्थ्य देखभाल , अच्छी शिक्षा और अन्य आवश्यकताएं चाहते हैं। किसी भूखे या बेरोजगार पुरुष महिला को योग करने के लिए कहना एक क्रूर चाल और भटकाव है। ऐसा कहा जाता है कि योग अच्छा स्वास्थ्य और शांत मन देता है। लेकिन क्या यह किसी गरीब भूखे और बेरोजगार पुरुष महिला को यह देगा? क्या यह हमारे कुपोषित लोगों और अनियमित महिलाओं को देगा ?

जस्टिस काटजू ने आगे कहा कि मुझसे कई लोग पूछते हैं कि क्या मैं स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, दिवाली ,होली फादर्स डे, मदर्स डे, बाल दिवस आदि के खिलाफ हूं? सिर्फ योग दिवस के खिलाफ हूं ही क्यों हूं? मैं यह या ऊपर वर्णित अन्य चीजों के खिलाफ नहीं हूं । मैं जिस चीज के खिलाफ हूं, वह राजनीतिक एजेंडे के लिए उनका अपहरण करना और रोमन सम्राट कहा करते थे,” अगर आप लोगों को रोटी नहीं दे सकते तो उन्हें सर्कस दें।”

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