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पंजाब के बाद हरियाणा कांग्रेस में भी अंतरिम कलह शुरू, कुमारी शैलजा के इस्तीफे की पेशकश के बाद हाईकमान सतर्क

अप्रैल 11, 2022 | by

After Punjab, Haryana Congress also started interim discord, high command alert after Kumari Selja’s offer to resign

हरियाणा कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष और दलित महिला नेता कुमारी शैलजा ने अपने पद से इस्तीफा देने का प्रस्ताव कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को दिया है। उन्होंने शनिवार के दिन सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद यह ऑफर दिया है।

पंजाब की तरह ही हरियाणा कांग्रेस में भी आंतरिक कलह मची हुई है। पड़ोसी राज्य पंजाब में अमरिंदर राजा वारिंग को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद अब हरियाणा में भी कांग्रेस बदलाव की ओर बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। आशंका जताई जा रही है कि हरियाणा कांग्रेस में पंजाब से भी बड़ा बवाल होने वाला है।

सोनिया गांधी को दिया ऑफर

हरियाणा कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने अपने पद से इस्तीफा देने का प्रस्ताव सोनिया गांधी को दिया है। शनिवार के दिन सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद उन्होंने यह पेशकश दी है। शैलजा की ओर से यह बात ऐसे समय में कही गई जब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा लगातार बदलाव की मांग कर रहे हैं। दरअसल भूपेंद्र हुड्डा प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी अपने खेमे के किसी व्यक्ति को देना चाहते हैं।

हुड्डा बदलाव चाहते हैं

भूपेंद्र हुड्डा पिछले काफी समय से कांग्रेस सुप्रीमो पर दबाव बनाते रहे हैं कि नेतृत्व में बदलाव होना चाहिए। कुमारी शैलजा या कांग्रेस हाईकमान की तरफ से आधिकारिक तौर पर अभी तक कुछ नहीं कहा गया है। लेकिन विवाद निपटाने को लेकर मंथन शुरू हो चुका है। कांग्रेस के शीर्ष नेता इस बात को लेकर काफी चिंतित नजर आ रहे हैं कि शैलजा दलित समुदाय से आती है और महिला नेता है। अगर उसे हटाया जाएगा तो पार्टी पर विरोधी दल दलितों की अपेक्षा का आरोप भी लगा सकते हैं। यह ऐसे वक्त में आरोप और भी पुख्ता होने का डर है जब पंजाब में सुनील जाखड़ जैसे नेता दलित लीडर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर सवाल खड़े कर रहे करते रहे थे।

कुमारी शैलजा की मजबूत पकड़

दूसरी तरफ उसके सामने यह संकट है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा जाट समुदाय के नेता के तौर पर जाने जाते हैं और वह लगातार कुमारी शैलजा के खिलाफ अभियान चलाए हुए हैं। उनका मानना है कि भाजपा सरकार में जाट नेतृत्व को कोई जगह नहीं दी गई है। ऐसे समय में उन्हें मौका देकर उसे जवाब दिया जा सकता है। दूसरी तरफ कुमारी शैलजा ने राज्य का अध्यक्ष रहते हुए जमीनी तौर पर काफी सक्रियता दिखाई है।  वह दलित महिलाओं और दलितों के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए है।

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