सीबीआई अधिकारी मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार नहीं करना चाहते थे, उन्हें दबाव में करना पड़ा: अरविंद केजरीवाल
फ़रवरी 27, 2023 | by
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने आबकारी नीति मामले में रविवार को 8 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई का आरोप है कि मनीष सिसोदिया ने शराब घोटाले में सबूतों को मिटाने की कोशिश की है। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने जांच में सहयोग न करने के आरोप में दिल्ली के शिक्षा मंत्री सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया है। आज मनीष सिसोदिया को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया जाना है। अपने मंत्री की गिरफ्तारी को लेकर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बड़ा ब्यान दिया है।
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को रविवार के दिन सीबीआई ने अपने हेड क़्वार्टर में 8 घंटे की पूछताछ के बाद अरेस्ट कर लिया। केंद्रीय जांच ब्यूरो का आरोप है कि मनीष सिसोदिया ने आबकारी नीति मामले में सबूतों को मिटाने की कोशिश की है। सीबीआई का आरोप है कि मनीष सिसोदिया पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं।
आज होगी पेशी
आज सोमवार दोपहर बाद मनीष सिसोदिया को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया जाएगा। इस दौरान सीबीआई सिसोदिया की ज्यादा दिनों की कस्टडी मांगेगी। आपको बता दें, दिल्ली की नई शराब नीति मामले में जांच एजेंसी दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ( जेल में बंद) से पहले ही पूछताछ कर चुकी है।
मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर आम आदमी पार्टी ने देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। इसी बीच दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपने मंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर बड़ा दावा किया है। अरविंद केजरीवाल ने एक ट्वीट कर मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बारे में कहा।
सीएम अरविंद केजरीवाल का दावा
I am told that most CBI officers were against Manish’s arrest. All of them have huge respect for him and there is no evidence against him. But the political pressure to arrest him was so high that they had to obey their political masters
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) February 27, 2023
अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्वीट में लिखा ,” मुझे बताया गया कि ज्यादातर सीबीआई अधिकारी मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के खिलाफ थे। वे सभी उनका बहुत सम्मान करते हैं और मनीष के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। लेकिन उन्हें गिरफ्तार करने का राजनीतिक दबाव इतना अधिक था कि उन्हें अपने राजनीतिक आकाओं की बात माननी पड़ी। “
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