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गुजरात में चांदीपुरा वायरस का प्रकोप: जानें इस जानलेवा संक्रमण के बारे में सब कुछ

Chandipura virus: गुजरात के अरावली जिले में चांदीपुरा वायरस के संक्रमण के कारण पिछले पांच दिन में छह बच्चों को मौत हो गई है। वहीँ, गुजरात में संक्रमण के मामले बढ़कर 12 हो गए हैं। यह वायरस 9 माह से 14 साल तक के बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है।

गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने बताया,” साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर सिविल अस्पताल में छह में से पांच बच्चों की मौत हो गई है। साबरकांठा के आठ सहित गुजरात के सभी 12 नमूने महाराष्ट्र के पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी लैब में भेजे गए हैं। ”

क्या है चांदीपुरा वायरस ?

हैदराबाद अपोलो अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ सुधीर कुमार ( एमडी, डीएम ) के अनुसार,  चांदीपुरा उर्फ़ Chandipura virus वेसिकुलोवायरस रबडोविरिडे परिवार से संबंधित एक आरएनए वायरस है, जिसमें रेबीज वायरस भी शामिल है।  इस घातक वायरस के संक्रमण का पहला मामला महाराष्ट्र के चांदीपुरा गांव में 1965 में पाया गया था। तभी से इस वायरस का नाम चांदीपुरा उर्फ़ चंडीपुरा रखा गया। ”

डॉ सुधीर कुमार के अनुसार, यह वायरस संक्रामक नहीं है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। यह संक्रमण बच्चों को अपना निशाना बनाता है। यह नौ महीने से लेकर 14 वर्ष तक आयु के बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है।

कैसे फैलता है चांदीपुर वायरस ?

यह वायरस रेत मक्खी और मछरों के काटने से फैलता है। मिट्टी के घरों की दीवारों में रहने वाली रेत मक्खियां इस वायरस का मुख्य वाहक हैं।

साल 2004 में जब महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में जब चांदीपुरा वायरस का प्रकोप हुआ था, तब 75 फीसदी तक संक्रमित बच्चे इस बिमारी के कारण जान गंवा बैठे थे। लेकिन अब चिकित्सा सुविधाओं में सुधार के कारण मृत्यु दर 25 फीसदी रह गई है।

जानलेवा चांदीपुरा वायरस का इलाज

चांदीपुर वायरस के संक्रमण के इलाज के लिए अभी तक को विशिष्ट एंटीवायरल दवा नहीं बनी है। रोगी को सिर्फ आइवी तरल पदार्थ दिया जाता है। रोगी के बुखार को मियंत्रण में रखने के लिए कुछ दवाएं दी जाती हैं।

बचाव एवं सावधानी

  • इस वायरस के संक्रमण से बचने के लिए घर में कीटनाशकों का छिड़काव करें।
  • बच्चों को पूरी आस्तीन के कपड़े पहनाएं।
  • आसपास साफ सफाई रखें।
  • सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
  • आसपास की नालियों में गंदा पानी इकट्ठा न होने दें।

चूँकि अभी तक चांदीपुरा वायरस के इलाज के लिए कोई दवाई नहीं बनी है , इसलिए सावधानी ही इलाज है।

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