DCW chief Swati Maliwal : राउज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल और अन्य के खिलाफ गुरुवार को भ्रष्टाचार के आरोप तय किए हैं। अदालत ने मालीवाल के आलावा आयोग की सदस्य प्रोमिला गुप्ता , फरहीन मलिक और सारिका चौधरी के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं।
दिल्ली महिला आयोग नियुक्तियों में अनियमितताओं को लेकर गुरुवार के दिन राउज एवेन्यू कोर्ट ने DCW चीफ स्वाति मालीवाल और अन्य के खिलाफ संस्था में AAP के कार्यकर्ताओं को विभिन्न पदों पर नियुक्त करने के लिए अपने पद का दुरूपयोग करने के आरोप में भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश करने के आरोप तय करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने आदेश दिया कि दिल्ली महिला आयोग की पूर्व सदस्य प्रोमिला गुप्ता , फरहीन मलिक और सारिका चौधरी पर भी मुकदमा चलाया जाए।
राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश दिग विनय सिंह ने कहा कि डीसीडब्ल्यू द्वारा विभिन्न तिथियों पर आयोजित बैठकों के विवरण जिसमें चारों अभियुक्त हस्ताक्षरकर्ता थे , के अवलोकन प्रथम दृष्टया इस संदेह की ओर इशारा करते हैं कि जिन नियुक्तियों पर सवाल उठाए गए हैं वे आरोपियों ने एक दूसरे के साथ मिलीभगत करके की हैं। जस्टिस सिंह ने कहा कि परिस्थितियां प्रथम दृष्टया आरोपी व्यक्तियों के बीच इस तरह की साजिश का संकेत देती हैं।
बीजेपी ने दर्ज कराया था केस
दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी विधायक बरखा शुक्ला सिंह की शिकायत के आधार पर ACB ने मामला दर्ज किया था। शिकायत में कहा गया था कि DCW में नियमों को दरकिनार कर आप के कार्यकर्ताओं को आयोग में नियुक्त कर वित्तीय लाभ पहुंचाया गया था।
हेल्प लाइन डायल 181
बरखा शुक्ला सिंह के शिकायत के अनुसार , 6 अगस्त 2015 से 1 अगस्त 2016 तक 90 पदों पर नियुक्तियां की गई थी। जिनमें 71 संविदा पर और और 16 लोगों को ‘डायल 181’ की हेल्प लाइन के लिए भर्ती किया गया था। बाकि तीन लोगों का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है। बरखा के शिकायत के बाद भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ( ACB ) ने 19 सितंबर 2016 को भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13 (1 )( D ) , IPC एक्ट 409 और 120 B के तहत एफआईआर दर्ज की थी।
90 लोगों की भर्तियां
ACB ने जांच के दौरान पाया कि सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने 27 जुलाई 2015 को नोटिफिकेशन जारी कर दिल्ली महिला आयोग का पुनर्गठन किया। जिसमें प्रथम आरोपी स्वाति मालीवाल को महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। अन्य तीन आरोपियों को आयोग के सदस्यों के रूप में पहले से स्वीकृत 26 पदों को अनदेखा कर नियुक्त किया गया। आयोग ने 6 अगस्त 2015 से 1 अगस्त 2016 तक कुल 87 पदों पर नियुक्तियां की। जिनमें से कम से कम 20 लोग सीधे तौर पर आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए हैं।
जांच एजेंसी का आरोप है कि ये सभी नियुक्तियां नियमों को अनदेखा कर की गई हैं।