ऊपर मत आना, मैं उन्हें संभाल लूंगा : शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के आखिरी बोल

26 नवंबर 2008 को मुंबई के ताज होटल पर पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने हमला कर दिया था। 27/11 को मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने कमान संभाली।

इस हमले ने पुरे मुंबई शहर को 60 घंटे तक दहशत में रखा। हमले ने 9/11 को हुए वर्ल्ड ट्रेड सेंटर हमले की याद याद दिला दी थी।इस हमले में 165 से भी ज्यादा लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।

कैसे आए थे आतंकी
23/11/08 को पाकिस्तान के कराची से समुद्री रास्ते के जरिये 10 आतंकी वोट पर बैठ कर आये। रास्ते में भारतीय नांव पर कब्जा कर उसके चार नाविकों को मार दिया। नाव के कप्तान को भारत ले जाने के लिए कहा,सीमा में घुसकर उसको भी मार दिया।

26/11/08 को तीन गैस से भरी हुई नाव पर आतंकी मुंबई शाम 8 बजकर 10 मिनट पर पहुंचे। इनमें से 6 आतंकी छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट गए। बाकि चार पानी में ही नाव लेकर घूमते रहे। बाद में वे मुंबई के बंधवार पार्क के पास दो अलग हिस्सों में बंट गए।

First Attack

आतंकियों ने सबसे पहला हमला 9 बजकर 21 मिनट पर छत्रपति शिवाजी रेलवे स्टेशन टर्मिनल पर किया। अजमल कसाब और इस्माइल खान ने यहां अंधाधुंध फायरिंग की।

दूसरा हमला नरीमन हाउस बिज़नेस एंड रेसीडेंशियल काम्प्लेक्स पर शाम 9 बजकर 30 मिनट पर किया।

तीसरा हमला रात साढ़े नौ बजे से 11 बजे के बीच एक चर्चित कैफ़े पर किया। इस हमले में 15 लोगों को अपनी जान गवांनी पड़ी थी।

ओबेरॉय होटल पर हमला

उसी रात ओबेरॉय होटल पर भी हमला किया गया। होटल के बाद आतंकियों ने रेलवे स्टेशन के पास कामा हॉस्पिटल में हमला किया। इस हमले में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए पुलिस के 6 जवान शहीद हो गए। जिनमें एंटी टेररिस्ट स्क्वायड के हेमंत करकरे भी शामिल थे।

ताज होटल

रात एक बजे ताज होटल में बम फटा। होटल से आग और धुंआ निकलना शुरू हो गया। सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर मेजर संदीप उन्नीकृष्णन 200 नेशनल सिक्योरिटी गार्ड कमांडो की टीम के साथ पहुंचे।

मेजर उन्नीकृष्णनन ने होटल की छठी मंजिल पर पहुंच कर आतंकवादियों के चंगुल से 14 बंधक छुड़ाए। आतंकवादियों से लोहा लेते हुए मेजर संदीप को गोलियां लगी। 28 नवंबर 2008 को ‘ऑपरेशन टारनेडो’ में आतंकियों से लड़ते हुए उनको लगी गोलियों के कारण मेजर संदीप उन्नीकृष्णनन शहीद हो गए।

31 वर्षीय शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन इसरो के पूर्व अधिकारी के. उन्नीकृष्णन और माता धनलक्ष्मी उन्नीकृष्णन की इकलौती संतान थे।

मरणोपरांत उन्हें भारत सरकार द्वारा अशोक चक्र से सम्मानित किया गया ,जोकि शांति का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है।

Do not come up

ताज होटल ऑपरेशन के समय भारतीय सेना के सहासी अधिकारी मेजर उन्नीकृष्णन का अपनी टीम को अंतिम संदेश था ”Do not come up,I will handle them” “ऊपर मत आना,मैं उन्हें संभाल लूंगा।”

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