तीनों कृषि कानून रद्द होते ही किसानों ने शुरू की घर वापसी? राकेश टिकैत ने कही यह बात

पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सोमवार के दिन संसद में 3 विवादित कृषि कानूनों को रद्द करने का फैसला लिया है। जिसके बाद कुछ धरना स्थलों से किसानों द्वारा आंदोलन खत्म कर घर लौटने की खबरें आने लगी है। हालांकि भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने इन खबरों को निराधार और अफवाह बताया है।

केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर के किसान पिछले लगभग 1 साल से आंदोलन कर रहे हैं। किसानों की मांग रही है कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया जाए और एमएसपी मूल्य की गारंटी दी जाए। पिछले 1 साल में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे विभिन्न धरना स्थलों पर लगभग 700 से ज्यादा किसानों की मौत हो गई है। अब कृषि कानूनों को केंद्र सरकार द्वारा रद्द कर दिया गया है।

राकेश टिकैत ने बताया अफवाह

किसान नेता राकेश टिकैत ने मंगलवार के दिन कहा कि किसानों के घर वापसी की अफवाह फैलाई जा रही है। जब तक न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून और किसानों पर किए गए मुकदमे वापस नहीं लिए जाते तब तक किसान यहां से नहीं जाएंगे। 4 दिसंबर को हमारी मीटिंग है।

केंद्र सरकार की तरफ से तीनों कृषि कानूनों की वापसी की कार्रवाई के बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने 1 दिसंबर को इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है। बीकेयू नेता का कादियान के अध्यक्ष हरमीत सिंह कादियान ने सोमवार को एक बयान में कहा है कि 1 दिसंबर को होने वाली विशेष बैठक है। जो पिछले कुछ समय से केंद्र सरकार के साथ 11 बार के बातचीत करने वाले किसान संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा आयोजित की जाएगी।

मएसपी कमेटी को लेकर फैसला लिया जाएगा

4 दिसंबर को होने वाले सामान्य बैठक के अनुसार होगी। जिसमें आंदोलन और एमएसपी कमेटी को लेकर फैसला लिया जाएगा। गौरतलब है कि इन कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि किसान अपना आंदोलन कब खत्म करेंगे। सरकार ने सोमवार को शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र में कानूनों को आधिकारिक रूप से वापस लेने का विधेयक पेश किया। जिसे दोनों सदनों में ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई है। अब यह विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

नरेश टिकैत ने किया सरकार के फैसले का स्वागत

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने केंद्र सरकार के कृषि कानून निरस्त करने के कदम का मंगलवार के दिन स्वागत किया है। लेकिन उन्होंने साथ में मांग की है कि आंदोलन कर रहे किसानों से एमएसपी तथा अन्य मुद्दों पर भी बातचीत की जाए।

कृषि कानून का विरोध करना किसानों का मौलिक अधिकार है और इसे रोका नहीं जा सकता:सुप्रीम कोर्ट

संसद में सोमवार को कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने संबंधी विधेयक को पारित किया दिया गया था। किसान पिछले 1 साल से कानून तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे। सिसौली में भारतीय किसान यूनियन मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए नरेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर जारी धरना प्रदर्शन को बंद करने के बारे में निर्णय संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा लिया जाएगा। एसकेएम के नेतृत्व में लगभग 40 किसान यूनियन आंदोलन कर रहे हैं।

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